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26 अक्टूबर को लखनऊ का घेराव करेंगे किसान

26 अक्टूबर को लखनऊ का घेराव करेंगे किसान

केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन नए कृषि कानूनों का विरोध करते हुए, साथ ही एमएसपी की गारंटी, रोजगार और बढ़ती महंगाई के मुद्दे को लेकर दो अक्टूबर गांधी जयंती के दिन से बिहार के चंपारण से निकली किसानों की लोक नीति सत्याग्रह पदयात्रा 20 अक्टूबर को वाराणसी में आकर समाप्त हुई.

अट्ठारह दिन की इस यात्रा में किसानों ने 350 किलोमीटर का सफर किया जिसमे कई राज्यों के किसान भी शामिल हुए. इस पदयात्रा उद्देश्य महात्मा गांधी के रास्ते पर चल कर सरकार पर नैतिक दबाव बनाने की कोशिश थी.

बता दें कि 2 अक्टूबर को चंपारण से चला किसानों का ये जत्था बुधवार (20 अक्टूबर) को बनारस पहुंचा. चंपारण वो जगह है, जहां कभी गांधी जी ने किसानों के मुद्दे को लेकर सत्याग्रह किया था. किसानों ने इस नए सत्याग्रह को लोक नीति सत्याग्रह नाम दिया है. करीब 500 से ज्यादा किसान नौजवान चलते-चलते उसी सत्याग्रह पर निष्ठा रखते हुए उसी लोक नीति पर निष्ठा रखते हुए लोक शक्ति को जागृत करते हुए वाराणसी पहुंचे हैं.

ग़ौर तलब है कि आज से 104 साल पहले 1917 में चंपारण में गांधी जी ने निलहा किसानों की बंधुआ खेती के ख़िलाफ किसान आंदोलन को नागरिक अधिकारों के आंदोलन में बदल डाला था.

पदयात्रा में शामिल किसानों ने कहा कि रास्ते भर दिल खोलकर किसान खड़े थे. जब लोगों को समझ में आया कि यह किसानों, नौजवानों का मुद्दा है, पूरे देश का मामला है, देशभक्ति का मामला है तो हर गांव में जहां-जहां हम रहने के लिए गए तो हमारे लोगों के रहने की व्यवस्था गांव के लोगों ने किया.

बता दें कि दिल्ली की सरहदों पर चल रहे किसान आंदोलन से अलग बिहार-यूपी को समेटते इस आंदोलन में भी लाखों किसान जु़ड़ रहे हैं और किसान आने वाली 26 अक्टूबर को लखनऊ का घेराव करेंगे. बताया जा रहा है कि वहां 15 लाख से ज्यादा किसान जमा होंगे.

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