एमएसपी गारंटी को लेकर किसान दिल्ली बॉर्डर पहुंचे
एक साल पहले सिंघू बॉर्डर पर सरकार द्वारा एमएसपी पर आश्वासन मिलने बाद किसान आंदोलन स्थगित करने के बाद दोबारा किसान संगठन के लोग दिल्ली पहुँच गए हैं। पंजाब और हरियाणा के सैकड़ों किसानों ने संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले आज यहां राय में राजीव गांधी एजुकेशन सिटी में “किसान महापंचायत” का आयोजन किया। सिंघू बॉर्डर के पास किसानों के जमावड़े ने एक बार फिर जिला प्रशासन और राज्य सरकार की टेंशन बढ़ा दी है।
किसानों का नेतृत्व जगजीत सिंह दल्लेवाल, बलदेव सिंह सिरसा और अभिमन्यु कुहार कर रहे थे। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो किसान एक बार फिर आंदोलन करेंगे। किसान नेता वी.एम. सिंह ने कहा कि केन्द्र सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस लेने के साथ एमसपी पर संयुक्त मोर्चा के साथ मिलकर कमेटी बनाने का ऐलान किया था। पराली अधिनियम और बिजली बिल वापस लेने को भी कहा था। इतना ही नहीं, किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमे भी वापस लेने को कहा था लेकिन हजारों किसानों पर मुकदमे अभी तक बाकी हैं।
किसान नेताओं का कहना है कि सरकार पिछले दरवाजे से बिजली बिल अधिनियम दोबारा लाने का प्रयास कर रही है। एमएसपी पर जो कमेटी बनाई है उसमें सिर्फ सरकारी और सरकार के हितैषी लोगों को जगह दी गई है। इसलिए एक बार फिर आंदोलन की जरूरत आन पड़ी है। किसान नेताओं ने कहा कि लगभग 13 महीने तक किसानों ने दिल्ली बॉर्डर पर सरकार को घेरे रखा था। इस दौरान बड़ी संख्या में किसानों को अपनी जान भी दिल्ली के मोर्चों पर देनी पड़ी थी। तब कहीं जाकर सरकार झुकी थी।
सरकारी आश्वासनों में आकर किसान घर लौट गए थे, लेकिन अब आंदोलन की पहली बरसी पर अपने शहीद साथियों को याद करते हुए किसान नेताओं की आंखें भी नम हो गईं। किसान प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार पर एमएसपी पर कानून बनाने सहित कई मांगों पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए गांव स्तर पर आंदोलन को खड़ा करने का निर्णय लिया गया। इसके लिए गांवों में प्रभात फेरी निकाले और र्होडिंग लगाने का निर्णय लिया गया।