किसान आंदोलन फिर शुरू होगा, 14 मार्च को निर्णय लेगा एसकेएम
संयुक्त किसान मोर्चा एक बार फिर किसान आंदोलन को शुरू करने का निर्णय ले सकता है।
किसान आंदोलन के अंतर्गत एक बार फिर देश भर के किसान दिल्ली के बॉर्डरों पर लौट सकते हैं। इस संबंध में अपनी भविष्य की योजनाओं पर वार्ता करने के लिए 14 मार्च को संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली में बैठक करने जा रहा है।
हाल ही में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की बड़ी जीत से किसान मोर्चा को बड़ा झटका लगा है। उत्तर प्रदेश में प्रचंड बहुमत के साथ भाजपा की सत्ता में वापसी को किसान मोर्चा के लिए बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है। किसान मोर्चा ने भाजपा का चुनाव में कड़ा विरोध करते हुए लोगों से भाजपा को सबक सिखाने की अपील की थी लेकिन चुनावी नतीजों में किसानों के विरोध का भाजपा पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है।
विश्लेषकों का कहना है कि किसान मोर्चा के सामने अब कठिन चुनौती है हालांकि SKM की निर्णायक समिति में शामिल एक सदस्य ने कहा है कि किसानों का लक्ष्य केवल एक चुनाव को लेकर नहीं था। संयुक्त किसान मोर्चा ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ व्यापक रूप से प्रचार भी किया था लेकिन भाजपा एक बार फिर किसानों के भारी विरोध के बावजूद भी सत्ता में वापसी कर चुकी है।
भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव पर सबकी निगाहें थी क्योंकि देश की राजनीति में उत्तर प्रदेश का महत्वपूर्ण स्थान है और यह राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित भी करता है। किसान आंदोलन का प्रमुख चेहरा रहे भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने रविवार को कहा सत्ता में जो भी दल हो, हमारी मांगे पूरी होने तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा।
टिकैत ने कहा मैं उत्तर प्रदेश चुनाव के बारे में बात ही नहीं करना चाहता, लेकिन आंदोलन शत-प्रतिशत जारी रहेगा। मैं संयुक्त किसान मोर्चा के साथ हूं। टिकैत ने उन अफवाहों पर विराम लगा दिया है जिनमें कहा जा रहा था कि राकेश टिकैत शायद ही अब किसान आंदोलन में हिस्सा लें। वह इस आंदोलन में अपनी भागीदारी को समाप्त कर सकते हैं। राकेश टिकैत ने कहा कि समाचार चैनल कह रहे हैं कि हम विफल रहे हैं। अगर हम असफल हुए हैं तो सरकार ने कृषि कानून वापस क्यों लिए हैं ?
संयुक्त किसान मोर्चा का बंगाल में चेहरा रहे अविक साहा ने कहा कि हमारी तात्कालिक चिंता किसानों के खिलाफ आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए मामलों को वापस लेना है जिनमें किसानों के खिलाफ यूएपीए के तहत भी कुछ मामले दर्ज किए गए हैं। उन्होंने कहा कि मुझ पर भी यूएपीए के तहत केस दर्ज किए गए हैं। क्या मैं आतंकवादी हूं ?
बता दें कि 2021 में किसान आंदोलन पिछले दशकों में हुए सबसे बड़े कृषि आंदोलनों में से एक था। किसान आंदोलन की प्रमुख मांगों में एक केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना था जिसे लंबे समय तक आंदोलनरत किसानों के आगे घुटने टेकते हुए मोदी सरकार ने स्वीकार कर लिया था।


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