किसान आंदोलन, मुक़दमा वापसी और एमएसपी पर कमेटी के बिना घर वापसी असंभव

किसान आंदोलन, मुक़दमा वापसी और एमएसपी पर कमेटी के बिना घर वापसी असंभव संयुक्त किसान मोर्चा किसान आंदोलन को ख़त्म करने या सभी मांगे पूरी होने तक जारी रखने का निर्णय लेगा।

किसान आंदोलन को लेकर अब किसान संगठनों में आपसी मतभेद की खबर आ रही है। तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लिए जाने के बाद कहा जा रहा है कि किसान दो गुटों में बंटते हुए नज़र आ रहे हैं।

किसान आंदोलन को लेकर हालांकि निर्णायक फैसला संयुक्त किसान मोर्चा को ही करना है । किसान मोर्चा एकजुटता का दावा कर रहा है लेकिन ऐसी खबरें आ रही हैं कि कृषि बिल की वापसी के बाद पंजाब के किसान संगठन और अन्य राज्यों के संगठनों में मतभेद उभर आए हैं ।

पंजाब के किसान संगठनों ने बैठक कर घर वापसी के लिए 1 दिसंबर को 40 किसान संगठनों की बैठक बुलाई थी। घर वापसी की इस मुहिम से संयुक्त किसान मोर्चा सहमत नही था जिस कारण पंजाब से अलग किसान नेताओं ने इस बैठक से किनारा करना ही बेहतर समझा । आपसी मतभेद के बाद हालांकि यह बैठक रद्द कर दी गई और अब पहले से ही निर्धारित 4 दिसंबर को किसान मोर्चा की बैठक होगी।

सरकार एमएसपी कमेटी को लेकर पंजाब के किसान संगठनों से बैठक अनौपचारिक रूप से बातचीत कर रही है जब के संयुक्त किसान मोर्चा इस मुद्दे पर लिखित में सूचना नहीं होने की बात कर रहा है।

वहीं पंजाब के किसान संगठन है एमएसपी में कमेटी में के लिए नामों की चर्चा भी कर रहे हैं । संयुक्त किसान मोर्चा का मानना है कि सरकार को एमएसपी कमेटी को लेकर स्पष्ट रूप से सामने आना चाहिए। पंजाब के किसान संगठन एमएसपी कमेटी के गठन के ऐलान के बाद घर वापसी चाहते हैं जब कि राकेश टिकैत का कहना है कि जब तक सरकार एमएसपी को लेकर कानून नहीं बना देती तब तक किसान आंदोलन जारी रहना चाहिए।

किसानों पर दर्ज किए गए मुकदमे को लेकर भी किसान संगठनों में विवाद की बातें कही जा रही हैं । पंजाब के कुछ किसान नेताओं ने हरियाणा सरकार से संपर्क करते हुए उन्हें आज बैठक के लिए बुलाया है जबकि संयुक्त किसान मोर्चा समेत हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी को इस बारे में कोई जानकारी ही नहीं है।

संक्षेप में कहें तो जब तक एमएसपी कानून कमेटी और किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस नहीं ले लिए जाते हैं तब तक किसान आंदोलन खत्म होता नजर नहीं आ रहा है ।

अंदरूनी सूत्रों की मानें तो संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि जल्दबाजी बिल्कुल भी ठीक नहीं है वहीं एमएसपी क़ानून बनने तक धरने पर बैठना भी उचित नहीं होगा।

अब यह केंद्र सरकार पर निर्भर है कि वह एमएसपी कानून कमेटी और किसानों पर दर्ज मुकदमों को लेकर कितनी जल्दी निर्णय लेती है।

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