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वोटर कार्ड विवाद पर, मंगलवार चुनाव आयोग की उच्चस्तरीय बैठक

वोटर कार्ड विवाद पर, मंगलवार चुनाव आयोग की उच्चस्तरीय बैठक

वोटर लिस्ट पर उठ रहे सवालों और अलग-अलग राज्यों में एक ही नंबर के कई आईडी कार्ड जारी होने के बाद चुनाव आयोग के सामने अपनी साख बचाने की चुनौती खड़ी हो गई है। मतदाता सूची में कोई हेराफेरी न हो, इसका आभास देने के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त ने मतदाता सूची को आधार कार्ड से जोड़ने के मिशन में तेजी लाने का संकेत दिया है।इसके लिए मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने 18 मार्च को गृह सचिव, विधान विभाग के सचिव और आधार सीईओ की बैठक बुलाई है।

टीएमसी ने इसे अपनी सफलता बताया

गौरतलब है कि राहुल गांधी ने सबसे पहले चुनावी सूची में धांधली कर बीजेपी के लिए रास्ता बनाने का संदेह जताया था. हाल ही में टीएमसी ने इस मामले को गंभीरता से उठाया और खुलासा किया कि चुनाव आयोग द्वारा तैयार विभिन्न राज्यों की मतदाता सूचियों में एक ही नंबर के कई वोटर कार्ड हैं।

टीएमसी का आरोप है कि पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी गुजरात, हरियाणा और अन्य बीजेपी शासित राज्यों के मतदाताओं को पश्चिम बंगाल की चुनावी सूची में शामिल कर जीत की साजिश रच रही है। टीएमसी द्वारा इस मुद्दे को पूरी ताकत और तर्कों के साथ उठाने के कारण पहले चुनाव आयोग ने मौखिक सफाई दी और अब उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई है। ममता बनर्जी की पार्टी ने अपनी बड़ी सफलता का ऐलान किया है।

सभी दलों से मांगे गए सुझाव

दूसरी ओर, भारत निर्वाचन आयोग ने सभी राष्ट्रीय और राज्य राजनीतिक दलों से चुनावी पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ), जिला चुनाव अधिकारियों (डीईओ) या मुख्य निर्वाचनइससे पहले चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में डुप्लीकेट वोटर कार्ड की गलती मानी थी और इसे पुरानी समस्या बताया था।

हालांकि आयोग ने दावा किया था कि डुप्लीकेट वोटर आईडी कार्ड का मतलब फर्जी वोटर नहीं है, बल्कि उसने यह मुद्दा उठाने वाली तृणमूल कांग्रेस को आश्वासन दिया था कि समान ईपीआईसी नंबर का मुद्दा तीन महीने के भीतर सुलझा लिया जाएगा। अधिकारियों (सीईओ) के स्तर पर लंबित चुनावी मुद्दों को हल करने के लिए 30 अप्रैल तक प्रस्ताव मांगे हैं।

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