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चुनावी बांड: उत्तराखंड में हादसे वाली सुरंग बनाने वाली, नवयुगा इंजीनियरिंग कंपनी भी शामिल

चुनावी बांड: उत्तराखंड में हादसे वाली सुरंग बनाने वाली, नवयुगा इंजीनियरिंग कंपनी भी शामिल

सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद स्टेट बैंक आफ इण्डिया ने राजनीतिक पार्टियों को दिए गए चंदे का ब्यौरा कोर्ट और चुनाव आयोग को दिया और चुनाव आयोग ने इसे सार्वजनिक कर दिया है। जिसके बाद नए खुलासे सामने आ रहे है। इसमें पता चलता है कि कैसे कंपनियों के दफ्तर में आयकर विभाग और ईडी के छापे पड़ते और कंपनियाँ चुनावी चंदा देने के लिए एसबीआई के दफ्तर का दरवाजा खटखटा आते हैं। कुछ मामलों में ये भी साफ दिखता है चुनावी चंदे का चढ़ावा चढ़ाने के बाद कंपनियों को प्रसाद में बड़े-बड़े प्रौजेक्ट भी मिले हैं।

कंपनियों की इस लिस्ट में दो कंपनियां ऐसी हैं जिनके तार उत्तराखण्ड से भी जुड़ रहे हैं। पहली है मेघा इंजीनियरिंग इंन्फ्रास्ट्रक्चर लिमटेड। पार्टियों को सबसे ज्यादा चुनावी चंदा देने वाली लिस्ट में ये कंपनी 966 करोड़ का चंदा देकर लिस्ट में दूसरे नंबर पर है। इसके अलावा भी प्रूडेंट इल्कट्रौल ट्रस्ट को 2022-2023 में83 करोड़ का सबसे ज्यादा चंदा दिया है। इस कंपनी पर आयकर विभाग के छापे भी पड़े हैं। ये कंपनी फिलहाल उत्तराखण्ड में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाईन के एक हिस्से का काम कर रही है।

दूसरी कंपनी है नवयुगा इंजीनियरिंग कंपनी। इस कंपनी ने भी चुनावी चंदे के रुप में 55 करोड़ का योगदान अपनी तरफ से पार्टियों को दिया है। आपको लग रहा होगा कि इस कंपनी का नाम आपने कहीं सुना हुआ है।

दरअसल, 12 नवंबर 2023 को दिवाली की सुबह 5.30 बजे सिलक्यारा टनल हादसा आपको याद होगा। सिल्क्यारा से बड़कोट के बीच बन रही निर्माणाधीन सुरंग में धंसाव हो गया। 40 मजदूर इस सुरंग में फंस गए और 16 दिनों बाद इन मजदूरों को इस टनल से सुरक्षित बाहर निकाला गया। इस टनल का काम जो कंपनी कर रही थी उस कंपनी का नाम है नवयुगा इंजीनियरिंग कंपनी।

हैदराबाद स्थित इस कंपनी को 1,383 करोड़ रुपय की लागत से बनने वाली इस सुरंग काम जुलाई 2018 में मिलता है। 2018 में प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी। परियोजना को 2022 में पूरा किया जाना था और वर्तमान में यह विस्तार पर है। 26 अक्टूबर 2018 को इस कंपनी के दफ्तर पर मनी लॉडरिंग मामले पर आयकर विभाग ने छापेमारी की। और इसके ठीक 6 महीने बाद अप्रैल 2019 में इस कंपनी ने 30 करोड़ का चंदा दिया। इसके बाद 10 अक्टूबर 2019 को 15 करोड़ का चंदा दिया।

साल 2020 में नवयुगा कंपनी को ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्टव का 2072 करोड़ का एक और प्रोजेक्टह भी हासिल हुआ। फिर 10 अक्टूबर 2022 एक बार फिर इस कंपनी ने 10 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे। चंदे देने के इस नित्य क्रम के एक साल बाद सिल्क्यारा टनल हादसा होता है। जिसमें तमाम तरह की खामियाँ सामने आती है। हादसे में साफ तौर पर कंपनी की गलतियाँ, लापरवाही और खामियाँ पकड़ में आती हैं। इसकी जांच के लिए आपदा प्रबंधन सचिव रणजीत सिन्हा की अध्यक्षता में 8 सदस्य कमेटी बनाई गई इसकी जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री धामी को सौंप दी गई। इसके अलावा केंद्र स्तर पर भी इस कंपनी की कार्यप्रणाली में लापरवाही पाई गई।

इतने बड़े हादसे के बाद नवयुगा कंपनी की लापरवाही अलग अलग जांचों में सामने आई। लेकिन किसी तरह का एक्शन ना ही केंद्र सरकार ना ही राज्य सरकार द्वारा लिया गया। 40 मजदूरों की जान जोखिम में डालने वाली इस कंपनी पर कोई आंच नहीं आई। ऐसा क्यों हुआ ये आसानी से समझा जा सकता है।

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