महाराष्ट्र में ‘एनडीए गठबंधन’ में तनाव कम करने का प्रयास

महाराष्ट्र में ‘एनडीए गठबंधन’ में तनाव कम करने का प्रयास

मुंबई: पिछले कुछ दिनों से महायुति में शामिल तीनों पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही थीं। यहां तक कि लोगों को लगने लगा कि शायद अब तीनों पार्टियां अलग होना चाहती हैं, लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने शायद एकजुटता में ही सुरक्षा देखी है और इस सिलसिले पर अंकुश लगाने का फैसला किया है। शुक्रवार को उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने न केवल महायुति में चल रहे आरोप-प्रत्यारोप पर नाराजगी जताई, बल्कि यह भी घोषणा की कि जल्द ही तीनों पार्टियों की ओर से एक-एक प्रवक्ता नियुक्त किया जाएगा। इन प्रवक्ताओं का बयान ही पार्टी का आधिकारिक रुख माना जाएगा, अन्य व्यक्तियों के बयानों की कोई अहमियत नहीं होगी। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने भी एक दिन पहले अपनी पार्टी के नेताओं को विवादित बयान देने से बचने की चेतावनी दी थी।

ध्यान देने वाली बात है कि पिछले कुछ दिनों से महायुति में शामिल तीनों पार्टियों (बीजेपी, एनसीपी-अजीत पवार और शिवसेना-शिंदे) के नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे थे। कभी राम कदम (शिवसेना) ने रविंद्र चौहान (बीजेपी) को एक अयोग्य मंत्री करार दिया तो चौहान ने कदम को मुंह तोड़ने की धमकी दी। तानाजी सावंत (शिवसेना) ने कहा कि जब वे एनसीपी वालों के साथ बैठते हैं तो उन्हें उल्टियां आ जाती हैं। इसके जवाब में एनसीपी के उमेश पाटिल ने कहा कि या तो तानाजी सावंत को सरकार से निकाला जाए या फिर हम बाहर हो जाते हैं। सोलापुर में बीजेपी प्रवक्ता गणेश हाके ने कहा था कि अजीत पवार की पार्टी के कार्यकर्ताओं ने लोकसभा चुनाव में हमारे पार्टी के उम्मीदवारों के लिए काम नहीं किया था, इसलिए उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

महायुति में शामिल तीनों ही पार्टियां अपने-अपने प्रवक्ता नियुक्त करेंगी
इन बयानों के कारण ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था कि शायद ये पार्टियां एक-दूसरे से छुटकारा पाना चाहती हैं, लेकिन शुक्रवार को देवेंद्र फडणवीस ने एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में कहा, “इस तरह के बयान देना बिल्कुल गलत है। इस तरह के बयानों से हम अपनी ही पार्टी को गड्ढे में धकेल रहे हैं और महायुति को कमजोर कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, “इसलिए अब हमने तय किया है कि महायुति में शामिल तीनों ही पार्टियां अपने-अपने प्रवक्ता नियुक्त करेंगी। इसके बाद जो भी ये प्रवक्ता कहेंगे, उसे ही पार्टी का रुख माना जाएगा। इसके अलावा अगर कोई और कुछ कहता है तो उसका पार्टी से कोई संबंध नहीं होगा।”

पार्टी का शीर्ष नेतृत्व महायुति को स्वीकार कर चुका है: बावनकुले
गौरतलब है कि एक दिन पहले चंद्रशेखर बावनकुले ने भी बीजेपी नेताओं को चेतावनी दी थी कि वे महायुति में शामिल अन्य पार्टियों के बारे में विवादित बयान देने से बचें। बावनकुले का कहना था, “आगे से पार्टी का कोई भी नेता महायुति में शामिल नेताओं के बारे में कोई आपत्तिजनक बात नहीं कहेगा, यह मेरी आखिरी चेतावनी है।” उन्होंने कहा, “पार्टी का शीर्ष नेतृत्व महायुति को स्वीकार कर चुका है। राज्य नेतृत्व भी महायुति के पक्ष में है। इसलिए निचले स्तर पर भी महायुति गठबंधन को स्वीकार करना होगा। महायुति महाराष्ट्र की प्रगति और नरेंद्र मोदी के साथ काम करने के लिए है। इसलिए आगे से कोई भी कार्यकर्ता महायुति के किसी भी नेता के बारे में कोई बयान नहीं देगा।”

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