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विदेशी मदद पर केंद्र सरकार का छाती ठोकना निराशाजनक: राहुल गांधी

विदेशी सहारा पाने पर केंद्र सरकार का छाती ठोकना निराशाजनक: राहुल गांधी, कोरोना महामारी ने पूरे विश्व में ऐसे पैर पसारे कि एक साल बाद भी उसके क़हर से लोगों का बुरा हाल है, कहीं दूसरा और तीसरा वेरिएंट आ चुका कहीं चल रहा है।

भारत उन देशों में है जो दूसरे वेरिएंट का मुक़ाबला कर रहा है, और यह दूसरा वेरिएंट कितना भयावह और ख़तरनाक साबित हो रहा है यह तो अस्पतालों से निकलती लाशें, श्मशानों से उठता धुआं, क़ब्रिस्तानों के भीतर नई क़ब्रों के निशान अच्छी तरह बयान कर रहे हैं।

अधिकतर देशों को जब पता चला कि कोरोना का दूसरा तीसरा वेरिएंट भी हो सकता है तो उन्होंने उसके बंदोबस्त में दिन रात एक कर दिए ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को इससे बचाया जा सके, लेकिन भारत में केंद्र सरकार ने न केवल कोई पुख़्ता इन्तेज़ाम नहीं किया बल्कि कोरोना के दूसरे वेरिएंट आने के बाद पूरी शिद्दत से चुनाव रैली में भीड़ जमा की।

नतीजा सामने है रोज़ाना 4 लाख से ज़्यादा नए मामले और 4 हज़ार से अधिक मौतें, ऐसी भयानक स्तिथि में कुछ देशों ने भारत की मदद की पेशकश की तो उसका क्रेडिट लेने से भी मोदी सरकार नहीं चूकी यही वजह है कि आज कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर के कहा: “विदेशी सहारा पाने पर केंद्र सरकार का बार बार छाती ठोकना निराशाजनक है। अगर मोदी सरकार ने अपना काम किया होता तो यह नौबत नहीं आती”।

यानी अगर सरकार ने पहले से अपने काम कर लिए होते और समय रहते अस्पताल वग़ैरह की स्थिति पर ध्यान दिया होता, ऑक्सीजन और दवाओं की क़िल्लत को लेकर प्लानिंग की होती, वेंटिलेटर बेड का बंदोबस्त किया होता तो ऐसे लाशों के ढ़ेर देशवासियों को न देखने पड़ते।

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