आंध्र प्रदेश में “वोट के बदले कैश” को लेकर प्रदर्शन
आंध्र प्रदेश में विधानसभा की 175 और लोकसभा की 25 सीटों के लिए सोमवार को मतदान हो रहा है। राज्य में कुछ जगहों पर कैश बांटने का आरोप लगा है। रविवार को पांच जगह वोट के बदले पैसे की मांग करते हुए प्रदर्शन किए गए। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में सोमवार को बताया गया कि पांच स्थानों पर लोगों ने तमाम राजनीतिक दलों से वोट के बदले कैश की मांग करते हुए प्रदर्शन किए।
लोग नेताओं से पैसे की डिमांड करने लगे, जो उनसे वोट के बदले देने को कहा गया था। वैसे तो यह पूरी तरह अवैध और गलत है लेकिन इस राज्य के लिए कोई नई बात नहीं। दिलचस्प यह है कि जिस तरह से महंगाई बढ़ी है, उसी तरह से एक वोट की कीमत भी बढ़ती गई। जी हां, TOI की रिपोर्ट के मुताबिक कई विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों में वोट के बदले कैश की कीमत 1,000 से लेकर 6,000 रुपये तक है।
चुनाव में वोट के लिए रिश्वत आम बात है। कई स्थानों पर शराब तक बांटी जाती है। लेकिन महंगाई बढ़ने के साथ अब वोट की कीमत भी बढ़ गई है। सूत्रों ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि राज्य में लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों में कुछ लोगों ने वोट के बदले एक हजार रूपये से लेकर छह हजार रुपये तक मांगे।
ओंगोल में दावा किया गया कि एक वोट के बदले 5,000 रुपये बांटे गए। कुछ लोग छूट गए तो उन्होंने विरोध करना शुरू कर दिया। ईस्ट गोदावरी जिले के कोंडेवरम गांव में प्रोटेस्ट हुआ है। कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि सबको पैसा मिला लेकिन वे रह गए। कुछ ऐसा ही सीन पीठापुरम में देखने को मिला। एक कैंडिडेट के दफ्तर के पास वोटरों की भीड़ जमा हो गई। कहा गया कि पार्टी के समर्थकों ने हर वोटर को कथित रूप से 5,000 रुपये देने का वादा किया था लेकिन कुछ महिलाओं को अब तक पैसे नहीं मिले।
सूत्रों के हवाले से अखबार ने लिखा है कि विजयवाड़ा में तो कुछ पार्षदों के दफ्तर में भी पैसे बांटे गए। एक शख्स ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि विधायक का चुनाव लड़े रहे प्रत्याशी ने अपने खास आदमी को पार्षद के दफ्तर में जाकर पैसे बांटने के फंड दिया। उस पार्षद के दफ्तर में एक वोट के बदले एक हजार रुपये बांटने का आरोप है।
जिन प्रत्याशियों के पास दफ्तर वगैरह की व्यवस्था नहीं थी, उन्होंने अलग-अलग लोकेशन पर मतदाताओं को बुलाकर 1000 से लेकर 1500 रुपये एक-एक वोट के लिए दिया। अमरावती के एक दुकानदार ने बताया कि किसी प्रत्याशी को अगर अपने विरोधी की राशि का पता चल जाता था तो वो 500 रुपये बढ़ा देता था। अमरावती में भी 500 रुपये से लेकर एक हजार रुपये तक बांटे गए।
ऐसा नहीं है कि शहरी वोटर दूध के धुले हैं। उत्तरी आंध्र में तो अपार्टमेंट, ग्रुप हाउसिंग सोसायटियों में रहने वालों ने प्रत्याशियों से अपनी रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के जरिए जनरेटर, सोलर सिस्टम, सड़कों की मांग वोट के बदले की। हालांकि ऐसी मांग में कैश नहीं मांगा जाता लेकिन बड़े काम करवा लिए जाते हैं। बहुत जगहों पर लोग पानी के लिए भी इसी दौरान प्रदर्शन करते देखे गए कि अगर पानी के लिए पाइप लाइन या ट्यूबवेल नहीं लगा तो वोट नहीं।