ज़हरीली टिप्पड़ी करने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस की बर्खास्तगी की मांग

ज़हरीली टिप्पड़ी करने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस की बर्खास्तगी की मांग

उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश, जस्टिस शेखर कुमार यादव द्वारा विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में संविधान और मुस्लिमों के खिलाफ की गई नफरत भरी बयानबाजी और देश को बहुसंख्यक की इच्छा के अनुसार चलाने और उसे देश का कानून मानने की टिप्पणी पर राजनीतिक, सामाजिक और कानूनी हलकों में कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई है। देश की प्रमुख शख्सियतों ने इस नफरत फैलाने वाले न्यायधीश को तुरंत बर्खास्त करने की मांग की है।

याद रहे कि मुस्लिमों के खिलाफ बेहद अपमानजनक भाषा का प्रयोग करते हुए जस्टिस शेखर यादव ने यह भी दावा किया कि न केवल देश का कानून बहुसंख्यक के हिसाब से चलता है बल्कि जो बहुसंख्यक को पसंद आता है, वही स्वीकार किया जाएगा। शेखर कुमार यादव की इस ज़हर उगलने वाली टिप्पणी पर सोशल मीडिया पर लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि ऐसे न्यायधीशों के रहते हुए अल्पसंख्यकों को कैसे न्याय मिलेगा?

सीपीआई (एम) ने जस्टिस शेखर की नफरत भरी टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट से स्वत: संज्ञान लेने की मांग की है, और कहा कि एक न्यायधीश द्वारा बहुसंख्यक विचारधारा और सांप्रदायिक नफरत को बढ़ावा देना अस्वीकार्य है। सुप्रीम कोर्ट को स्वत: संज्ञान लेना चाहिए और न्यायधीश को बर्खास्त करना चाहिए। राज्यसभा के पूर्व सदस्य, केंद्रीय सरकार के सचिव और प्रसार भारती के पूर्व सीईओ जवाहर सरकार ने मांग की कि इस न्यायधीश को वीएचपी के सांप्रदायिक कार्यक्रम में भाग लेने, अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यक का अनुसरण करने वाला बताने और समानता के अधिकार को कुचलने के लिए तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए।

विरोधस्वरूप सिविल सेवा से इस्तीफा देने वाले शशिकांत सैन्थल ने मांग की कि सुप्रीम कोर्ट इस न्यायधीश के खिलाफ स्वत: कार्यवाही करे और न्यायपालिका को सांप्रदायिक एजेंडे का मंच बनने से रोका जाए। उन्होंने कहा कि न्यायधीश ने खुद को संविधान का रक्षक समझने के बजाय वीएचपी का प्रवक्ता समझ लिया है, इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश आशीष गोयल ने भी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश को पत्र लिखकर जस्टिस शेखर कुमार यादव के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कड़ा विरोध व्यक्त करते हुए लिखा कि न्यायधीश संविधान की रक्षा के लिए निडर होकर प्रतिबद्ध होते हैं, जस्टिस शेखर की टिप्पणी उनके शपथ के सीधे उल्लंघन के रूप में है। अगर संवैधानिक अदालतों के न्यायधीश खुलेआम हिंदू राष्ट्रवाद और राजनीति का समर्थन करेंगे, तो संविधान और कानून की सर्वोच्चता में विश्वास रखने वाले अल्पसंख्यक भारतीय न्यायपालिका पर कैसे विश्वास करेंगे?

सांप्रदायिक मानसिकता रखने वाले शेखर यादव एकमात्र न्यायधीश नहीं: काटजू
जस्टिस (रिटायर्ड) मार्कंडेय काटजू ने शेखर कुमार यादव की टिप्पणी को अत्यंत आपत्तिजनक, अनावश्यक और मूर्खतापूर्ण बताया और कहा कि भारत में इस तरह की सांप्रदायिक मानसिकता रखने वाले वे एकमात्र न्यायधीश नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जिस संविधान का न्यायधीश शपथ लेते हैं, वही संविधान इस देश को धर्मनिरपेक्ष घोषित करता है। एक न्यायधीश के लिए विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में भाग लेना अत्यंत अनुपयुक्त है, जो आरएसएस का हिस्सा है और मुस्लिमों के खिलाफ है।

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