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दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव: 7 साल बाद एनएसयूआई का अध्यक्ष पद पर कब्जा

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव: 7 साल बाद एनएसयूआई का अध्यक्ष पद पर कब्जा

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (DUSU) के चुनाव परिणाम 25 नवंबर की शाम घोषित किए गए, जिसमें एनएसयूआई (National Students’ Union of India) ने 7 साल बाद अध्यक्ष पद पर कब्जा कर लिया। एनएसयूआई के उम्मीदवार रौनक खत्री ने इस चुनाव में शानदार जीत दर्ज की, और एबीवीपी (Akhil Bharatiya Vidyarthi Parishad) के उम्मीदवार को 1,343 वोटों के अंतर से हराया। रौनक खत्री को कुल 20,207 वोट मिले, जबकि एबीवीपी के उम्मीदवार को 18,864 वोट मिले।

पिछले 7 वर्षों से दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष पद पर एबीवीपी का कब्जा था, लेकिन इस बार एनएसयूआई ने ऐतिहासिक जीत हासिल की। इसके साथ ही एनएसयूआई को संयुक्त सचिव पद पर भी सफलता मिली। एनएसयूआई के उम्मीदवार लोकेश चौधरी ने 21,975 वोट प्राप्त किए, जबकि एबीवीपी के उम्मीदवार को केवल 15,249 वोट मिले। इस तरह से संयुक्त सचिव पद पर भी एनएसयूआई को 6,726 वोटों का विशाल अंतर मिला।

एनएसयूआई की इस शानदार सफलता के बाद संगठन में खुशी का माहौल है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पार्टी के समर्थकों ने भी एनएसयूआई के उम्मीदवारों को बधाई दी। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता रागिनी नाइक ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा कि “वे कहते हैं न, मेहनत कभी व्यर्थ नहीं जाती। 7 साल बाद एनएसयूआई ने अध्यक्ष पद पर शानदार जीत दर्ज की है। संयुक्त सचिव पद भी हमारा हुआ। रौनक और लोकेश के लिए मेरी शुभकामनाएं।”

वहीं, एबीवीपी ने उपाध्यक्ष और सचिव पद पर जीत हासिल की। एबीवीपी के उपाध्यक्ष पद के उम्मीदवार भानु प्रताप ने 24,166 वोट प्राप्त किए, जबकि एनएसयूआई के उम्मीदवार को 15,404 वोट मिले। इसके अलावा, सचिव पद पर एबीवीपी के उम्मीदवार मर्तिरा व्रिंदा ने 16,703 वोट प्राप्त किए, जबकि एनएसयूआई के उम्मीदवार को 15,236 वोट मिले। इस चुनाव परिणाम से स्पष्ट है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्र संगठनों के बीच की प्रतिस्पर्धा और छात्र राजनीति में नए बदलाव आ रहे हैं। एनएसयूआई की यह जीत कांग्रेस और उसके समर्थकों के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संदेश भी है।

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