नए सिरे से होगी दिल्ली दंगों की ज़मानत याचिकाओं पर HC में सुनवाई
दिल्ली दंगों की साजिश मामले में गुलफिशा फातिमा, मीरान हैदर, अब्दुल खालिद सैफी और कई अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर अब दिल्ली उच्च न्यायालय की एक अन्य पीठ के समक्ष फिर से बहस करनी होगी क्योंकि न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल (जो इन मामलों की सुनवाई करने वाली खंडपीठ का नेतृत्व कर रहे थे) ) को मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया है।
आवेदनों पर सुनवाई करने वाली खंडपीठ का नेतृत्व कर रहे न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल को मणिपुर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पद पर पदोन्नत किया गया है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 6 जुलाई को उनके नाम की सिफारिश की थी और पिछले महीने केंद्र सरकार ने उनकी नियुक्ति को अधिसूचित किया था, जिसके बाद उन्होंने शपथ ली। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति शैलेंदर कौर की खंडपीठ जनवरी 2024 में अपीलों पर सुनवाई शुरू करेगी।
पिछले साल जस्टिस मृदुल और जस्टिस रजनीश भटनागर की पीठ ने इन ज़मानत अर्जियों पर विस्तार से सुनवाई की थी और कम से कम पांच मामलों में आदेश भी सुरक्षित रख लिए थे। जिन मामलों में पीठ ने आदेश सुरक्षित रखा था उनमें गुलफिशा फातिमा, मीरान हैदर, अब्दुल खालिद सैफी, शिफा उर रहमान और मोहम्मद सलीम खान द्वारा दायर ज़मानत याचिकाएं शामिल हैं।
इनमें से पहला आदेश इस साल जनवरी में सुरक्षित रखा गया था, दूसरा फरवरी में और तीसरा मार्च में — रिकॉर्ड बताते हैं कि 18 मई के बाद, पीठ कम से कम चार सुनवाई की तारीखों पर मामले की सुनवाई के लिए इकट्ठा नहीं हुई। आरोपी इशरत जहां को दी गई जमानत रद्द करने की दिल्ली पुलिस की अपील पर भी बेंच सुनवाई करेगी। इससे पहले न्यायमूर्ति मृदुल की अध्यक्षता वाली विशेष पीठ ने पिछले साल अक्टूबर में उमर खालिद को जमानत देने से इनकार कर दिया था।
मौजूदा बेंच के सामने एक आरोपी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने कहा कि, “मामला पिछले एक साल से अधिक समय से लंबित है। अब इसे फिर से सुना जाना चाहिए।” वहीं विशेष सरकारी अधिवक्ता अमित प्रसाद ने कहा कि सभी केस दिल्ली दंगों के पीछे की साजिश और इनमें आरोपियों की विभिन्न भूमिकाओं से जुड़े हैं।