PM डिग्री मामले में मानहानि का मुकदमा ग़ैर क़ानूनी: केजरीवाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री से जुड़े विवाद में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और राज्यसभा सांसद संजय सिंह की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अहमदाबाद की एक अदालत ने बुधवार को ‘आप’ नेताओं की उन अर्जियों को खारिज कर दिया, जिनमें उन्होंने मानहानि केस की सुनवाई फरवरी 2024 तक टालने की मांग की थी। अरविंद केजरीवाल की ओर से मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एसजे पांचाल के सामने यह भी दलील दी गई कि लोकसेवक होने की वजह से बिना मंजूरी उनके खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। कोर्ट गुरुवार यानी आज को इस पर फैसला दे सकता है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आप नेता संजय सिंह की अर्जी पर जस्टिस जे सी दोशी की कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट की वकील रेबेका जॉन ने वर्चअली कोर्ट में याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखा। इस पर जस्टिस ने राज्य सरकार और गुजरात यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी की। कोर्ट ने सुनवाई के लिए 3 नंवबर, 2023 की तारीख तय की। केजरीवाल और संजय सिंह की दलील है कि गुजरात यूनिवर्सिटी का गठन राज्य सरकार ने किया है। ऐसे में यूनिवर्सिटी स्टेट में आती है और स्टेट की कोई मानहानि नहीं होती है।
दूसरी दलील यह है कि मानहानि का केस ही नहीं बनता है। इसके तीसरी अहम दलील यह दी गई है कि यूनिवर्सिटी की तरफ से जिन्होंने मानहानि का केस किया वह प्रॉपर और लीगल नहीं है। अगर यूनिवर्सिटी के फैसले सरकार की जगह सीनेट लेती है तो क्या सीनेट ने रजिस्ट्ररार को मानहानि का मुकदमा करने के अधिकृत किया है। केजरीवाल और संजय सिंह की तरफ से नई दलीलें पेश की गई हैं।
केजरीवाल की दलील पर क्या कहा गुजरात यूनिवर्सिटी ने
नायर ने इस मामले में अरविंद केजरीवाल की उस दलील को भी चुनौती दी कि क्योकि वह लोक सेवक हैं, इसलिए सीआरपीसी की धारा 197 के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी ली जानी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि यह अर्जी मामले को लटकाने की एक रणनीति है। उन्होंने कहा कि अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल आधिकारिक कार्य के निर्वहन की श्रेणी में नहीं आता है, इसलिए वर्तमान मामले में ऐसी मंजूरी की आवश्यकता नहीं है। अदालत ने बृहस्पतिवार तक के लिए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।