आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दलित समुदाय सक्रिय, 21 अगस्त को ‘भारत बंद’ की अपील

आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दलित समुदाय सक्रिय, 21 अगस्त को ‘भारत बंद’ की अपील

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से दलित समुदाय में आक्रोश फैल गया है, जिसमें राज्यों को एससी-एसटी आरक्षण में उप-श्रेणी बनाने का अधिकार दिया गया है। सोशल मीडिया पर 21 अगस्त को ‘भारत बंद’ की अपील की जा रही है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर ‘#21_अगस्त_भारत_बंद’ ट्रेंड कर रहा है, जहां कई दलित संगठनों और नेताओं ने इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाई है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला और दलित समुदाय की प्रतिक्रिया
पिछले गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में राज्यों को एससी-एसटी आरक्षण में उप-श्रेणी बनाने का अधिकार प्रदान किया और क्रीमी लेयर नियम को भी लागू करने को कहा। इस फैसले के बाद से दलित समुदाय में गहरी नाराजगी देखी जा रही है। दलित संगठनों और नेताओं का मानना है कि यह फैसला भेदभावपूर्ण है और इससे दलितों के अधिकारों का हनन होगा। उनका कहना है कि यह निर्णय एससी-एसटी समुदाय के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ है।

2018 का भारत बंद और उसकी प्रतिक्रिया
यह पहली बार नहीं है जब दलित समुदाय ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ भारत बंद का आह्वान किया है। इससे पहले, 2 अप्रैल 2018 को सुप्रीम कोर्ट के एक अन्य फैसले के विरोध में भारत बंद आयोजित किया गया था। उस समय सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों पर अत्याचार की रोकथाम अधिनियम-1989 में कुछ संशोधन किए थे, जिसके कारण दलित समुदाय में व्यापक रोष फैल गया था। उस बंद में कई स्थानों पर हिंसा भी हुई थी और कई लोगों की जानें गई थीं। उस विरोध प्रदर्शन के बाद, सरकार ने संविधान में संशोधन करके सुप्रीम कोर्ट के बदलावों को निष्प्रभावी कर दिया था।

वर्तमान में भारत बंद की अपील
फिर से, दलित संगठनों ने 21 अगस्त को ‘भारत बंद’ की अपील की है। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि किस संगठन ने इस अपील की शुरुआत की है। सोशल मीडिया पर ‘लॉजिक जर्नी’ नामक एक हैंडल से इस हैशटैग के समर्थन में कई पोस्ट किए गए हैं। एक पोस्ट में कहा गया है, “एससी-एसटी श्रेणियों में उप-श्रेणीकरण से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ 21 अगस्त को शांतिपूर्ण भारत बंद का ऐलान किया गया है।”

दलित अधिकार कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रियाएँ
इस बीच, सोशल मीडिया कार्यकर्ता और दलित अधिकार कार्यकर्ता हंसराज मीणा ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने लिखा, “हंसराज मीणा ने एससी-एसटी श्रेणियों में उप-श्रेणीकरण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ 21 अगस्त को शांतिपूर्ण भारत बंद का ऐलान नहीं किया है। समाज के लोग खुद एससी-एसटी के संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा का ऐलान कर रहे हैं। मैं समाज के लोगों के साथ खड़ा हूं।”

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दलित समुदाय में बढ़ती नाराजगी और 21 अगस्त को ‘भारत बंद’ की अपील इस बात का संकेत है कि आरक्षण और दलित अधिकारों के मुद्दे पर देश में गहरा असंतोष है। यह देखना बाकी है कि इस विरोध प्रदर्शन का क्या प्रभाव होगा और सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाएगी।

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