प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना में मिले सिलेंडर कबाड़ में लगे बिकने
आज से लगभग पांच साल पहले 1 मई 2016 को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत हुई थी जिसका मकसद देश के उन सभी परिवारों को सुरक्षित, स्वच्छ रसोई ईंधन आवंटित कराना था जो उस समय तक असुरक्षित व प्रदूषित ईंधन का प्रयोग करके खाना बनाने हैं.
केंद्र सरकार ने APLऔर BPL राशन कार्ड धारक महिलाओं को घरेलू रसोई गैस उपलब्ध कराई अक्सर ये देखा गया है कि पहले रिफिल के बाद ये सिलेंडर बेकार ही पड़े रहते हैं. लेकिन भिंड से जो तस्वीरें आई हैं वो योजना की प्रासंगिकता को लेकर गंभीर सवाल उठा रही हैं. ये हालात उस राज्य में हैं जहां प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के दूसरे चरण की शुरुआत मध्यप्रदेश के जबलपुर से गृहमंत्री अमित शाह ने की थी.
बताया जा रहा है कि भिंड में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के सिलेंडर कबाड़ में बिकने लगे हैं, इस योजना के साथ जो चूल्हा मिला था वो भी भूसे के ढेर के बीच कबाड़ में पड़ा है.
पिछले पांच सालों में इस योजना का लाभ उठाने वाले सिलेंडर कबाड़ के भाव बेच कर वापस गोबर के कंडे और लकड़ी जलाकर खाना पका रहे हैं क्योंकि आज से समय में ईंधन की कीमतों के बढ़ने से गैस सिलेंडर के दाम 925 से 1050 रुपये के आसपास हैं, जो मज़दूरी पेशा लोगों की पहुंच से बहुत दूर है
बता दें कि भिंड ज़िले में लगभग 2 लाख 76 हजार लोगों के घर में गैस कनेक्शन है, जिसमें 1 लाख 33 हजार कनेक्शन प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत मिले हैं. प्रशासन का कहना है लगभग 77 लाभार्थियों को वो गैस दे चुके हैं, बाकी के लिये सर्वे जारी है लेकिन वो ये नहीं बताते कि कितने लोग कनेक्शन लौटा चुका है!
भिंड ज़िले में 2 लाख 76 हजार लोगों के पास गैस कनेक्शन है
जिसमें 1 लाख 33 हजार कनेक्शन उज्ज्वला के तहत मिले हैं
प्रशासन का कहना है लगभग 77 लाभार्थियों को वो गैस दे चुके हैं, बाकी के लिये सर्वे जारी है लेकिन वो ये नहीं बताते कि कितने लोग कनेक्शन लौटा चुका है! pic.twitter.com/MsrvdM9dr3— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) October 22, 2021