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दिल्ली पुलिस को फिर कोर्ट की फटकार, हिंसा रोकने के बजाए कर रहे थे चहलक़दमी

दिल्ली पुलिस को फिर कोर्ट की फटकार, हिंसा रोकने के बजाए कर रहे थे चहलक़दमी

दिल्ली पुलिस को एक बार फिर कोर्ट की ओर से फटकार लगाई गई है। जहांगीरपुरी हिंसा मामले की सुनवाई कर रही दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को लापरवाही बरतने के आरोप में जमकर फटकार लगाई।

जहांगीर पुरी हिंसा को रोकने में दिल्ली पुलिस की विफलता को देखते हुए रोहिणी कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह घटना दिल्ली पुलिस की विफलता को बयान कर रही है।

जहांगीरपुरी हिंसा के आरोपियों की जमानत पर सुनवाई करते हुए रोहिणी कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि स्थानीय पुलिस बिना अनुमति के निकाले गए जुलूस को रोकने में विफल रही है। कोर्ट दिल्ली पुलिस की कार्यशैली पर जमकर फटकार लगाते हुए हिंसा के आरोपियों की जमानत याचिका को ठुकरा दिया है।

रोहिणी अदालत ने दिल्ली पुलिस की कार्यशैली पर फटकार लगाते हुए कहा कि बिना अनुमति के शोभयात्रा निकलने देना पुलिस की गलती थी। कोर्ट ने पुलिस आयुक्त को कहा है कि वह दोषी अधिकारियों की जवाबदेही तय करें तथा पुलिसकर्मियों की कार्यशैली की जांच भी जरूरी है।

बता दें कि दिल्ली के जहांगीरपुरी क्षेत्र में 16 अप्रैल को हिंदुत्ववादी गुटों ने बिना अनुमति के शोभयात्रा निकाली थी जिसके बाद यहां हिंसक झड़पें हुई थी। इस मामले की सुनवाई करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायधीश गगनदीप सिंह ने कहा है कि संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की जरूरत है ताकि भविष्य में इस प्रकार की कोई घटना ना हो सके।

न्यायाधीश ने कहा कि यह बात स्पष्ट है कि यह शोभायात्रा पुलिस की अनुमति के बिना निकाली गई थी। अदालत ने कहा कि इस घटना को लेकर दर्ज की गई एफआईआर स्पष्ट पता चलता है जहांगीर पुरी पुलिस स्टेशन के कर्मचारी, निरीक्षक एवं अन्य अधिकारी शोभायात्रा को निकालने से रोकने के बजाय इसके साथ साथ चल रहे थे। जिससे साफ पता चलता है कि स्थानीय पुलिस ने शोभयात्रा को रोकने और भीड़ को तितर-बितर करने के बजाए पूरे रास्ते शोभायात्रा में उनका साथ दिया। इसी शोभायात्रा में बाद में दोनों समुदाय के बीच दुर्भाग्यपूर्ण दंगे हुए।

दिल्ली पुलिस में जहांगीरपुरी मामले में अब तक 36 लोगों को गिरफ्तार किया है जिनमें तीन नाबालिग भी शामिल हैं। शोभा यात्रा के दौरान हुई हिंसक झड़पों के बीच आठ पुलिसकर्मियों नागरिक घायल हुए थे।

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