कांग्रेस-आप की नज़दीकी से विपक्षी गठबंधन की मुश्किल हुई आसान
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच तकरार किसी से छिपी नहीं है, लेकिन अब ये दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर हमला करती नजर नहीं आएंगी। यह स्थिति बेंगलुरु में विपक्षी दलों की दो दिवसीय बैठक के बाद बनी है। ‘इंडिया’ (INDIA) यानी विपक्षी गठबंधन के लिए कांग्रेस और आप के बीच की लड़ाई एक बड़े ‘कांटे’ की तरह थी जो मोदी विरोधी गठबंधन बनने में खटकती नजर आ रही थी। इन दोनों पार्टियों को एक मंच पर लाना सबसे मुश्किल लग रहा था, लेकिन अब ये ‘कांटा’ दूर हो गया है। जैसे ही कांग्रेस ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को संकेत दिया कि वह केंद्र के अध्यादेश मुद्दे पर उनके साथ खड़े होने को तैयार है, केजरीवाल और उनके नेताओं ने कांग्रेस और उसके नेताओं के खिलाफ बयान देना बंद कर दिया।
अंग्रेजी दैनिक “इंडियन एक्सप्रेस” ने अपनी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा है कि मंगलवार को कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में खत्म हुई 26 विपक्षी पार्टियों की बैठक के बाद आप का यह पक्ष सामने आया है। गौरतलब है कि आप के शीर्ष नेतृत्व ने अपनी सोशल मीडिया टीम से कांग्रेस के खिलाफ कुछ भी ट्वीट नहीं करने और समग्र रूप से उदारवादी रुख अपनाने को कहा है। सूत्रों के मुताबिक खबर तो यहां तक आ रही है कि खुद अरविंद केजरीवाल ने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को कांग्रेस पर हमलों से दूर रहने की हिदायत दी है। ताजा आदेश के अनुसार, सोशल मीडिया टीम को निकट भविष्य में कोई भी कांग्रेस विरोधी पोस्ट शेयर नहीं करने का निर्देश दिया गया है।
उधर, कांग्रेस ने भी आप के प्रति अपना नरम रुख पूरी तरह से दिखाया है। खासकर जब कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने 18 जुलाई को विपक्षी गठबंधन पर केजरीवाल के बयान पर आधारित एक वीडियो साझा किया, तो इससे कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को स्पष्ट संदेश गया। इस मामले में कांग्रेस के एक नेता का बयान भी मीडिया में सामने आया है, जिसमें कहा गया है कि यह फैसला राष्ट्रीय नेतृत्व ने लिया है और हम पार्टी के वफादार होने के नाते इसका पालन करेंगे।
जाहिर है, जिस तरह से कांग्रेस और आप के शीर्ष नेतृत्व ने मोदी सरकार को हटाने के लिए अपनी निजी लड़ाई को किनारे रख दिया, वह भारत (भारतीय राष्ट्रीय विकास समावेशी गठबंधन) के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। दोनों मुख्य पार्टियों के बीच खींचतान खत्म होने के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव की राह थोड़ी आसान नजर आ रही है। हालाँकि, यह देखना बाकी है कि जब भारत की अगली बैठक मुंबई में होगी तो किस तरह के फैसले लिए जाएंगे। कांग्रेस-आप में खींचतान खत्म होने के बाद अब विपक्षी अलायंस इंडिया(INDIA) के सामने सबसे बड़ा ‘कांटा’ सीटों का बंटवारा है। अगर ये कांटा जल्द ही बाहर आ गया तो ये मोदी सरकार के लिए ख़तरनाक साबित हो सकता है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए IscPress उत्तरदायी नहीं है।


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