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जयपुर ट्रेन फायरिंग की जितनी निंदा की जाए कम है: गुलज़ार आज़मी

जयपुर ट्रेन फायरिंग की जितनी निंदा की जाए कम है: गुलज़ार आज़मी

मुंबई: आरपीएफ कांस्टेबल द्वारा चलती ट्रेन में चार लोगों की हत्या की घटना पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जमीयत उलेमा महाराष्ट्र (अरशद मदनी) कानूनी सहायता समिति के प्रमुख गुलज़ार आज़मी ने कहा कि वर्तमान शासन में नफ़रत इतनी बढ़ चुकी है और मुस्लिम शत्रुता का यह हाल है कि अब रक्षक ही हत्यारे बन गए हैं।

गुलजार आजमी ने कहा कि यह कोई सामान्य घटना नहीं है जिसे मीडिया बता रहा है, यह मुसलमानों के खिलाफ आतंकवाद है औरयह संगठित आतंकवाद है। सिपाही तो गिरफ्तार हो गया, लेकिन उसे इस घिनौने कृत्य के लिए उकसाने वाले कब गिरफ्तार होंगे? उन पर कब कार्रवाई होगी?

गुलजार आजमी ने कहा कि पिछले दस सालों में देश में मुसलमानों के खिलाफ जितनी नफरत और उत्पीड़न का सिलसिला शुरू हुआ है, उतना आजादी के बाद के 65/सालों में नहीं हुआ। मॉब लिंचिंग से लेकर गौरक्षा के नाम पर मुसलमानों का उत्पीड़न और हत्या आम होती जा रही है।

मुसलमानों के खिलाफ अपराधों में लगातार बढ़ोत्तरी एक खास राजनीतिक दल के शासन वाले राज्यों में ही हो रही है। मुसलमानों के लिए जमीनें तंग की जा रही हैं, इतनी नफरत है कि लोग दाढ़ी टोपी देखते ही पीटने लगते हैं, नफरत भरे जुमले बोलते हैं। जय श्री राम, वंदे मातरम आदि बोलने के लिए मजबूर किया जाता है।

धर्म संसद के नाम पर देश के अलग-अलग हिस्सों में बड़ी-बड़ी सभाएं हो रही हैं, जिसमें खुलेआम मुसलमानों को मारने की बात कही जा रही है। सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देश पर भी स्थानीय पुलिस गलत काम करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम रही है। यह इस बात का संकेत है कि पुलिस को कार्रवाई करने से रोका जा रहा है, नफरत फैलाने वालों पर कार्रवाई न करने का नतीजा आज हमारे सामने है।

गुलजार आजमी ने कहा कि भारत की आजादी के क्रांतिकारियों का सपना ऐसा भारत ऐसा नहीं था। उनके आजाद भारत का सपना शांतिपूर्ण जीवन, अपने धर्म का पालन करने की आजादी और रोज़ी रोज़गार की आज़ादी था जो आज भारत में नहीं देखा जा रहा है, बल्कि उसके उलट दिख रहा है। मुसलमान न तो सुरक्षित है और न ही अपनी धार्मिक पहचान के साथ जी सकता है। मुसलमानों का आर्थिक आवासीय बहिष्कार आम बात हो गई है।

गुलजार आजमी ने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत के अस्तित्व को बचाने के लिए सांप्रदायिक ताक़तों को उखाड़ फेंका जाए और देश में एक बार फिर धर्मनिरपेक्षता, भाईचारा, और आपसी सौहार्द स्थापित किया जाए जो भारत में रहने वाले सभी देशवासियों को अमन शांति प्रदान करे। वर्तमान सरकार सभी मोर्चों पर विफल रही है, सिवाय नफरत पैदा करने के।

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