सांप्रदायिक पार्टी शासन करने के लायक नहीं : सिद्धारमैया
बेंगलुरु, विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने कहा कि हमें अयोध्या में राम मंदिर निर्माण पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इसका राजनीतिक इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। शुक्रवार को हुबली हवाईअड्डे पर पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, “हमारी आपत्ति है कि इसका राजनीतिक इस्तेमाल किसी अन्य धर्म का विरोध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए. हर गांव में अंजनियामंदिर है.” क्या हमने उन्हें नहीं बनाया? लेकिन इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए कोई भी दल जो साम्प्रदायिक है वह जनता पर शासन करने में सक्षम नहीं है।
धर्म और जाति के नाम पर राजनीति करना गलत है। समाज में हिंदू, मुस्लिम, ईसाई सहित सभी धर्म समान हैं। उनके नाम पर राजनीति करना ठीक नहीं है। मैं हिंदू विरोधी नहीं हूं,लेकिन वह हिंदू धर्म के खिलाफ थे। 1925 से 1947 तक, आरएसएस और हिंदू महासभा ने स्वतंत्रता संग्राम में किसी भी तरह से भाग नहीं लिया।
उस समय स्वतन्त्रता संग्राम ने सर्वाधिक तीव्र रूप धारण कर लिया था। फिर उन्होंने सवाल किया कि क्या उनमें से किसी ने,चाहे वह आरएसएस के संस्थापक हों या पदाधिकारी, स्वतंत्रता संग्राम में किसी ने भी भाग लिया था? क्या उनमें से किसी ने भी देश की आज़ादी में किसी तरह का योगदान दिया है ?
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई पर अपनी टिप्पणी को स्पष्ट करते हुए सिद्धारमैया ने कहा, “मैंने उनका अपमान करने के लिए नहीं कहा कि वह एक पिल्ला है।” मैंने तो गाँव की भाषा में कुत्ता कहा था, ताकि मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री से राज्य के हित में अनुदान माँगने का साहस दिखा सके। अगर इस तरह देखा जाए तो लोग मुझे टेगरू (बकरा ) नाम से पुकारते हैं। लोगों की इस तरह की बातों से क्या मैं दूसरा अर्थ ले लूं ? इस तरह उन्होंने मुख्यमंत्री को कहे गए शब्दों का बचाव किया |
राज्य सरकार पर घूसखोरी का आरोप लगाते हुए सिद्धारमैया ने कहा, “इंजीनियर को वोधन सोढा के पास जाने की क्या जरूरत थी? इंजीनियर को वोधन सोढ़ा के पास पैसे लेने की क्या जरूरत थी? इससे साफ है कि वह इंजीनियर किसी मंत्री को रिश्वत के पैसे देने गया होगा। इसकी विस्तृत जांच होनी चाहिए।”