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विवादित बयान देने वाले जस्टिस यादव को सीएम योगी का समर्थन

विवादित बयान देने वाले जस्टिस यादव को सीएम योगी का समर्थन

इलाहाबाद में वीएचपी के कार्यक्रम में मुसलमानों के खिलाफ विवादित बयान देने वाले करने वाले हाईकोर्ट के जज, जस्टिस शेखर यादव को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शक्ल में एक बड़ा समर्थक मिल गया है, लेकिन यह समर्थन उन्हें जवाबदेही से नहीं बचा सकेगा। सुप्रीम कोर्ट, जो इस मामले का नोटिस ले चुका है, ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से विवरण मांगा है और इसका अध्ययन कर रहा है। इसके बाद जस्टिस शेखर को अपना पक्ष रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम के सामने पेश होना पड़ सकता है।

वर्ल्ड हिंदू इकॉनमिक फोरम को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जस्टिस शेखर यादव के मामले में विपक्ष और विशेष रूप से कांग्रेस को निशाना बनाने की कोशिश की। उन्होंने राज्यसभा के चेयरमैन जगदीप धनखड़ और इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर यादव के खिलाफ पेश की गई महाभियोग की प्रस्ताव का संदर्भ देते हुए उक्त फोरम में कहा कि “जो भी सच बोलता है, ये लोग (विपक्ष) उसे महाभियोग से डराने की कोशिश करते हैं, और इसके बाद संविधान की बात भी करते हैं। इनका दोहरा मापदंड देखो।”

जस्टिस यादव का बचाव करते हुए उन्होंने कहा, “इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज ने केवल यह कहा है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होना चाहिए और यह कि पूरी दुनिया में बहुसंख्यक समुदाय के जज़्बातों का सम्मान किया जाता है।” उन्होंने कहा कि अपनी इस राय को व्यक्त करने में उन्होंने क्या ग़लत किया है? सीएम योगी के अनुसार, “क्या देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड नहीं होना चाहिए? पूरी दुनिया का सिस्टम ही बहुसंख्यक के अनुसार चलता है, भारत तो यह कह रहा है कि बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक के बीच भेदभाव खत्म होना चाहिए। वे (कांग्रेस) इस मामले में दबाव डाल रहे हैं क्योंकि संविधान का गला घोंटना और देश के सिस्टम को अपने तरीके से चलाना उनकी पुरानी आदत है।”

बहरहाल सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाईकोर्ट के मौजूदा जज के विवादास्पद बयान और मुसलमानों के खिलाफ विवादित बयान पर इलाहाबाद हाईकोर्ट से रिपोर्ट मांगे जाने के बाद जस्टिस शेखर यादव को तलब भी किया जा सकता है। याद रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यादव की तकरीर का नोटिस, अखबारों में प्रकाशित होने वाली रिपोर्टों को देखकर 10 दिसंबर को ही लिया था और हाईकोर्ट से रिपोर्ट मांग ली थी।

देश की सबसे बड़ी अदालत की ओर से इस संबंध में जारी किए गए बयान में कहा गया है, “सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के सिटिंग जज, जस्टिस शेखर यादव की तकरीर पर आधारित अखबारी रिपोर्टों का नोटिस लिया है। हाईकोर्ट से विवरण मांगा गया है और मामला विचाराधीन है।” अब तक की परंपरा के अनुसार किसी भी विवादास्पद मामले में जब सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम किसी हाईकोर्ट से किसी जज के खिलाफ रिपोर्ट मांगता है, तो उस जज को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अपना पक्ष प्रस्तुत करने का एक मौका दिया जाता है।

सुप्रीम कोर्ट के सूत्रों के अनुसार, जस्टिस शेखर यादव को भी तलब किए जाने की पूरी संभावना है, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यह तलब कब होगी। जजों की जवाबदेही तय करने के लिए काम करने वाली संस्था “कैम्पेन फॉर ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स” के संयोजक और सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने भी चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को पत्र भेजकर जस्टिस शेखर यादव की विभागीय जांच का अनुरोध किया है। उन्होंने अपनी संस्था की ओर से भेजे गए पत्र में यह भी संकेत दिया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज ने न्यायिक आचार संहिता का उल्लंघन करने के साथ ही निष्पक्षता और धर्मनिरपेक्षता के संविधानिक सिद्धांतों को भी नुकसान पहुंचाया है।

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