नासिक में मनोज जरांगे और छगन भुजबल के समर्थकों के बीच झड़प
मराठा और ओबीसी समाज के बीच टकराव इन दिनों चरम पर है। समय-समय पर इसके उदाहरण सामने आते रहते हैं। रविवार की रात नासिक में राज्य मंत्री छगन भुजबल के कार्यकर्ताओं ने मराठा सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे का रास्ता रोकने की कोशिश की, जिसके बाद मराठा कार्यकर्ता भी उग्र हो गए और दोनों पक्षों के बीच नारेबाजी शुरू हो गई, जो बाद में झड़प में बदल गई। यह सब तब हुआ जब मनोज जरांगे स्वयं वहां मौजूद थे। पुलिस ने दोनों पक्षों के 44 लोगों पर मामला दर्ज किया है।
सूचना के अनुसार, रविवार की रात मनोज जरांगे नासिक में एक सभा में भाग लेने आए थे। उन्होंने येवला में बाबा साहेब आंबेडकर की प्रतिमा को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद उन्हें बताया गया कि हाल ही में येवला में छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा स्थापित की गई है। जरांगे वह प्रतिमा देखने गए, जहां उन्होंने छत्रपति शिवाजी को श्रद्धांजलि अर्पित की और सभा स्थल की ओर प्रस्थान किया।
उसी समय छगन भुजबल के कार्यकर्ताओं ने उनकी गाड़ी को रोकने की कोशिश की और उनके खिलाफ नारे लगाने लगे। यह देखकर मराठा कार्यकर्ता भी भड़क उठे और उन्होंने भी नारे लगाने शुरू कर दिए। दोनों गुटों में झड़प शुरू हो गई। यह देख आसपास के मराठा समुदाय के लोगों ने इलाके की सड़कें जाम कर दीं। 2 या 3 स्थानों पर जरांगे के समर्थकों ने यातायात बाधित कर दिया। अंततः पुलिस ने जरांगे से अनुरोध किया, जिसके बाद मनोज जरांगे ने मराठा समाज से अपील की कि वे सड़कों को खाली कर दें। इसके बाद यातायात बहाल हो सका। पुलिस ने दोनों पक्षों के 44 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
ग़ौरतलब है कि, छगन भुजबल ओबीसी समाज से आते हैं और वे मनोज जरांगे के ओबीसी कोटे में मराठा आरक्षण की मांग के कट्टर विरोधी हैं और उनकी लगातार आलोचना करते रहते हैं।
इस बीच, सोमवार को छगन भुजबल नासिक पहुंचे, जहां उन्होंने येवला में उस स्थान का दौरा किया जहां झगड़ा हुआ था और स्थानीय लोगों से मुलाकात की। भुजबल ने मनोज जरांगे पर आरोप लगाया कि उन्होंने स्थानीय लोगों के साथ गाली-गलौज और दुर्व्यवहार किया। भुजबल ने कहा कि रविवार रात को मैं बाबा सिद्दीकी के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए मुंबई गया था। वहीं मुझे पता चला कि यहां मनोज जरांगे और उनके साथियों ने कुछ हंगामा किया है।
भुजबल के अनुसार, जरांगे यहां आए और उन्होंने छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा के दर्शन किए, इसके बाद उन्होंने एक सभा को संबोधित किया, इससे मुझे कोई शिकायत नहीं है, लेकिन उन्होंने यहां शिवाजी महाराज की प्रतिमा के सामने गाली-गलौज की, और इस पर वे चुनाव लड़ने का भी इरादा रखते हैं।