बांद्रा ईस्ट के ग़रीबनगर में अतिक्रमण कार्यवाई से अफरातफरी
बांद्रा ईस्ट में रेलवे स्टेशन से सटी हुई 45 झोपड़ियों को अवैध कब्जा बताकर तोड़ दिया गया। 5 दिन पहले नोटिस भी चस्पा किया गया था। गरीबों और बेघरों ने बीएमसी और रेलवे को वैकल्पिक आवास उपलब्ध कराने के 5 साल पहले किए गए वादे की याद दिलाई।
रेलवे स्टेशन से सटे ग़रीब नगर झोपड़ी के पूर्वी हिस्से (बंद बुकिंग विंडो की ओर) पर रेलवे ने बुधवार सुबह भारी पुलिस मौजूदगी में तोड़फोड़ अभियान चलाया और दुकानों, झोपड़ियों और होटलों को ध्वस्त कर दिया। इस कार्रवाई से हड़कंप मच गया। मालूम हो कि रेलवे ने 5 दिन पहले नोटिस चस्पा कर तोड़फोड़ की कार्रवाई की जानकारी दी थी और यह भी कहा था कि अवैध कब्जा खुद हटा लें, नहीं तो हम तोड़ देंगे। और अगर कोई तोड़फोड़ की कार्रवाई के दौरान हस्तक्षेप करता है तो रेलवे एक्ट के मुताबिक उस पर 1000 रुपये का जुर्माना और 6 महीने की जेल हो सकती है।
निवासियों का कहना है कि हम यहां 35, 40 वर्षों से रह रहे थे, हमारे पास सभी दस्तावेजी सबूत हैं। 5 साल पहले 26 अक्टूबर 2017 को बीएमसी और रेलवे ने एक संयुक्त कार्रवाई में इस खंड में 325 झोपड़ियों को ध्वस्त करने और निवासियों को वैकल्पिक आवास प्रदान करने का वादा किया था, लेकिन आज 5 साल बीत जाने के बावजूद, केवल 35 निवासियों को माहुल गांव में वैकल्पिक जगह दी गई है, बाकी लोग इधर-उधर भटक रहे हैं या यहीं समय गुजारने को मजबूर हैं। वैकल्पिक आवास के संबंध में बीएमसी के वादों के बावजूद, निवासियों को परेशान किया जा रहा है। आख़िर हम कहाँ जाएं ? और किससे किससे फ़रियाद करें ?
मोहम्मद वसीम क़ुरैशी ने रेलवे द्वारा तोड़े जाने पर रोष जताया और कहा कि रेलवे की ओर से अवैध कब्जे का हवाला देकर नोटिस जारी किया गया था, और बुधवार को 30 से 40 झोपड़ियां और दुकानें तोड़ दी गईं। मेरा सवाल है कि मैं 39 साल का हूं, मेरा जन्म यहीं हुआ था, तब ऐसी कोई बात नहीं थी। इसी तरह 26 अक्टूबर 2017 को जब बीएमसी और रेलवे ने मिलकर यहां तोड़फोड़ की कार्रवाई की थी, उस समय 325 झोपड़ियां तोड़ दी गयीं थीं और कहा गया था कि सभी के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जायेगी, लेकिन आज तक मात्र 35 झोपड़ियों को ही वैकल्पिक आवास उपलब्ध कराया गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि हम रोजमर्रा कार्यवाई से तंग आ चुके हैं। हम यह भी कहना चाहते हैं कि रेलवे और बीएमसी कह दे कि आप यहां अवैध रूप से रह रहे हैं, आपका यहां कुछ नहीं है तो हम यह जगह छोड़ देंगे, लेकिन यह भी नहीं कहा जा रहा है। इसके अलावा हमारे क्षेत्र के विधायक जीशान सिद्दीकी भी इस मामले में कोई समाधान निकालने का प्रयास नहीं कर रहे हैं।
तोड़फोड़ की कार्रवाई में प्रभावित हुए मोहसिन खान ने कहा, ”हमारी झोपड़ी भी तोड़ दी गई है। हम लोग इस तरह के रोजमर्रा के कार्यों से असहाय हो गए हैं, लेकिन बीएमसी और रेलवे अपनी गलती और वादाखिलाफी के बावजूद निवासियों को परेशान कर रहे हैं। बीएमसी घर न होने की शिकायत कर रही है। ऐसे में सवाल यह है कि गरीब आदमी कहां जाए, किसके पास रोए?”