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केंद्र सरकार मणिपुर हिंसा पर विशेष ध्यान नहीं दे रही: गहलोत

केंद्र सरकार मणिपुर हिंसा पर विशेष ध्यान नहीं दे रही: गहलोत

जयपुर: राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार पर मणिपुर में जारी हिंसा के प्रति उदासीनता का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए तुरंत आवश्यक कदम उठाने चाहिए और वहां की स्थिति का जायजा लेने के लिए मणिपुर का दौरा करना चाहिए।

गहलोत ने अपने बयान में कहा कि मणिपुर में जारी हिंसा के बावजूद प्रधानमंत्री ने अभी तक राज्य का दौरा नहीं किया है, और ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने मणिपुर का दौरा करने को अपने स्वाभिमान का प्रश्न बना लिया है। मणिपुर की स्थिति अत्यंत गंभीर है, जहां राज्यपाल के निवास और मुख्यमंत्री आवास जैसे सुरक्षित स्थानों पर भी हमले हो रहे हैं। इसके बावजूद, केंद्र सरकार की ओर से इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है, और सरकार का ध्यान इस हिंसा पर केंद्रित नहीं है।

उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि मणिपुर में अत्याधुनिक हथियारों और ड्रोन का उपयोग करके आम नागरिकों पर हमले किए जा रहे हैं। हिंसा की यह स्थिति दिनोंदिन बिगड़ती जा रही है, और सरकार की निष्क्रियता से लोगों की सुरक्षा खतरे में है। गहलोत ने कहा कि मणिपुर में शांति स्थापित करना अब केंद्र सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।

गहलोत ने इस संदर्भ में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का उदाहरण दिया, जिन्होंने असम में शांति स्थापित करने के लिए कांग्रेस पार्टी की सरकार की बलि देने से भी परहेज नहीं किया था। उनकी इस कुर्बानी के कारण आज असम में शांति बनी हुई है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से अपील की कि वे इसी भावना के साथ मणिपुर की स्थिति को संभालें और आवश्यक कदम उठाकर राज्य में शांति स्थापित करें।

गहलोत ने यह भी बताया कि विपक्षी नेता राहुल गांधी सहित सभी विपक्षी दल लगातार प्रधानमंत्री से मणिपुर का दौरा करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को अब और विलंब नहीं करना चाहिए और मणिपुर का दौरा करके शांति स्थापित करने के लिए ठोस निर्णय लेने चाहिए, ताकि राज्य में बिगड़ती स्थिति को काबू में किया जा सके।

गहलोत ने मणिपुर की स्थिति पर केंद्र सरकार की उदासीनता की कड़ी आलोचना करते हुए इसे देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा बताया।

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