मणिपुर हिंसा रोकने के लिए केंद्र सरकार ने शांति समिति का गठन किया
मणिपुर में अब बड़े पैमाने पर शांति लाने का प्रयास किया शुरू किया गया है। देश के गृहमंत्री अमित शाह मणिपुर में अलग-अलग समूहों और समुदायों से मिले थे। वह मेइती व कुकी रिलीफ़ कैंपों में भी पहुँचे थे। और इसके साथ ही न्यायिक और सीबीआई जाँच की घोषणा भी की थी।
मणिपुर हिंसा को रोकने और उस पर काबू पाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कमर कास ली है। अब न्यायिक और सीबीआई जाँच के साथ ही केंद्र सरकार ने शांति समिति का भी गठन किया है।
यह शांति समिति ऐसे समय घोषित की गई है, जहां मणिपुर से लगातार हिंसा की खबरें मिल रही हैं। बीजेपी शासित मणिपुर में करीब दो महीने से हिंसा हो रही है। हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वहां का दौरा भी किया था लेकिन हिंसा की घटनाएं रुक नहीं रही हैं। अब तो पुलिस वर्दी में वहां हमले हो रहे हैं। जो काफी चिन्ता का विषय है।
हालांकि लोगों के दिलों में अभी भी यही प्रश्न उठ रहे हैं कि, मणिपुर में शांति बहाली की राह क्या इतनी आसान है? आख़िर आगजनी और मुठभेड़ की ख़बरें क्यों आ रही हैं? मणिपुर के सेरोऊ इलाके में सुरक्षा बलों और विद्रोहियों के एक समूह के बीच 5-6 जून की दरमियानी रात हुई गोलीबारी में असम राइफल्स के दो जवान घायल हो गए थे। एक जवान शहीद हो गया था।
इसके साथ ही मणिपुर के काकचिंग जिले के सुगनू में ग्रामीणों ने एक खाली हुए शिविर में आग लगा दी गयी थी। इस शिविर में यूनाइटेड कुकी लिबरेशन फ्रंट यानी यूकेएलएफ के उग्रवादियों ने शरण ली थी। यह अकेला शिविर नहीं है जिसमें आगजनी की घटना हुई है।
ग्रामीणों का यह हमला तब हुआ था जब काकचिंग जिले के सुगनू में कांग्रेस विधायक के रंजीत के घर सहित क़रीब 100 खाली पड़े घरों को जलाने की घटना हुई थी। खाली घर इसलिए हैं क्योंकि हिंसा के दौरान लोग घरों को खाली कर राहत शिविरों या सुरक्षित जगहों पर चले गए हैं।
हिंसा की वजह क्या है, यह ढूंढना भी आसान नहीं लगता है। और जब तक हिंसा की वजह नहीं पता चलेगी तब तक शांति लाना बेहद मुश्किल हो सकता है। हिंसा की वजह को लेकर दो अलग-अलग बयान हैं।
चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ यानी सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि मणिपुर में मौजूदा हिंसा का उग्रवाद से कोई लेना-देना नहीं है और यह मुख्य रूप से दो जातियों के बीच संघर्ष था। जबकि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इसके उलट बयान दिया है। बीरेन सिंह ने पहले दावा किया था कि राज्य में समुदायों के बीच कोई प्रतिद्वंद्विता नहीं थी और ये झड़पें कुकी उग्रवादियों और सुरक्षा बलों के बीच लड़ाई का परिणाम थीं।