कलकत्ता हाईकोर्ट ने ट्रेनी डॉक्टर रेप और हत्याकांड की सीबीआई जांच के आदेश दिए
पश्चिम बंगाल: कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार (13 अगस्त) को आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर केस की जांच CBI को सौंप दी है। राज्य सरकार कल सुबह 10 बजे तक CBI को केस डायरी और दूसरे रिकॉर्ड ट्रांसफर करेगी। चीफ जस्टिस टी एस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने केंद्रीय एजेंसी को मामले की जांच सौंपते हुए केवी राजेंद्रन मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि दुर्लभ मामलों में निष्पक्ष और सही जांच के लिए यह जरूरी है।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने पुलिस को महिला डॉक्टर की हत्या मामले से संबंधित सभी दस्तावेज बुधवार (14 अगस्त) की सुबह 10 बजे तक सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने धरने पर बैठे डॉक्टरों से हड़ताल को खत्म करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि वह उनका ‘पवित्र दायित्व’ है। कल पीड़ित डॉक्टर के घर जाने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि अगर कोलकाता पुलिस रविवार तक मामले को सुलझाने में विफल रहती है, तो इसे सीबीआई को सौंप दिया जाएगा।
कोलकाता रेप मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल से कहा कि वह अपने आप छुट्टी पर चले जाएं, वरना कोर्ट आदेश पारित करेगी। इस दौरान हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान सवाल पूछा है कि जब एक छात्र की मौत हुई थी, तो फिर उस मामले में प्रिंसिपल की तरफ से कोई शिकायत क्यों नहीं दी गई? यह संदेह को पैदा करता है। हाईकोर्ट ने कहा कि हमने पुलिस को जांच के लिए समय दिया होता, लेकिन मामला अजीब है। घटना के 5 दिनों के बाद भी पुलिस किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंची है। इस बात की पूरी संभावना है कि सबूत मिटा दिए जाएंगे। इसलिए हमें लगता है कि मामला तुरंत CBI को ट्रांसफर किया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट ने घटना के बाद मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्रिंसिपल डॉ संदीप कुमार घोष के इस्तीफे और दूसरी कॉलेज में उनकी नियुक्ति पर भी सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि यह जानकर दुख होता है कि घटना को लेकर अस्पताल प्रशासन और तत्कालीन प्रिंसिपल संदीप कुमार घोष सक्रिय नहीं थे। प्रिंसिपल ने अपना इस्तीफा दे दिया, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि उनके इस्तीफे पर क्या आदेश जारी किए गए थे। बल्कि इस्तीफे के 12 घंटे के भीतर 12 अगस्त को उन्हें एनएमसी, कोलकाता का प्रिंसिपल बना दिया गया। यह समझना मुश्किल है कि उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया और दूसरे मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल बनाने की क्या जल्दी थी।