बीजेपी की बिहार यूनिट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह को पार्टी से निलंबित किया
बीजेपी की बिहार इकाई ने शनिवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व सांसद आरके सिंह को पार्टी से निलंबित कर दिया। यह कदम बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों के एक दिन बाद उठाया गया, जिसमें भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरी और 89 सीटों पर विजय हासिल की। आरके सिंह के साथ पार्टी ने एमएलसी अशोक अग्रवाल को भी निलंबित कर दिया है।
बीजेपी द्वारा दोनों नेताओं को भेजे गए पत्र में कहा गया कि उनकी लगातार पार्टी-विरोधी बयानबाजी और गतिविधियों के कारण अनुशासन बनाए रखने के लिए यह कार्रवाई आवश्यक हो गई थी। सूत्रों के अनुसार, हाल के विधानसभा चुनाव के दौरान आरके सिंह के खिलाफ पार्टी-विरोधी टिप्पणियों और गतिविधियों की शिकायतें मिली थीं। चुनाव से ठीक पहले आरके सिंह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा की थी, जिसमें मतदाताओं से आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं को वोट न देने की अपील की गई थी। इस सूची में एनडीए के प्रमुख चेहरे शामिल थे, जिनमें जेडीयू के अनंत सिंह और भाजपा के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी भी थे।
पार्टी ने दोनों नेताओं को एक सप्ताह का समय देते हुए अपनी स्थिति स्पष्ट करने और जवाब जमा करने का निर्देश दिया है। एएनआई द्वारा साझा किए गए पत्र के अनुसार, आरके सिंह की गतिविधियों ने पार्टी को नुकसान पहुँचाया है और यह गंभीर अनुशासनहीनता मानी गई है। पत्र में उनसे पूछा गया है कि उन्हें पार्टी से निष्कासित क्यों न किया जाए।
निलंबन के पीछे असल विवाद चुनाव से ठीक पहले शुरू हुआ, जब मतदान के पहले चरण से दो दिन पूर्व आरके सिंह ने बिहार में 62,000 करोड़ रुपये के कथित बिजली घोटाले का आरोप लगाया। पूर्व ऊर्जा मंत्री ने दावा किया कि राज्य के बिजली विभाग में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी हुई है और मंत्रालय के कई अधिकारी इसमें शामिल हैं। उन्होंने पूरे मामले की जांच CBI से कराने की मांग की और आरोप लगाया कि इस घोटाले का संबंध अडानी समूह से है।
सिंह के अनुसार, एक कंपनी को बढ़ी हुई लागत पर थर्मल पावर प्लांट लगाने की अनुमति दी गई और बिहार सरकार ने उससे 25 वर्षों तक ₹6.075 प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदने का समझौता किया। उन्होंने कहा कि यह सौदा जनता पर भारी बोझ डाल रहा है और कुल घोटाला लगभग ₹1,40,000 करोड़ का है। उनके अनुसार, बिहार हर साल लगभग ₹2,500 करोड़ अतिरिक्त दे रहा है और 25 वर्षों में यह राशि ₹6,200 करोड़ अधिक हो जाएगी।

