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वोटिंग से पहले बीजेपी नेता विनोद तावड़े पर पैसे बांटने का आरोप

वोटिंग से पहले बीजेपी नेता विनोद तावड़े पर पैसे बांटने का आरोप

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के लिए 20 नवंबर को होने वाले मतदान से ठीक पहले एक बड़ी घटना सामने आई है। मुंबई के पास विरार स्थित एक होटल में बीजेपी के महासचिव विनोद तावड़े को बहुजन विकास अघाड़ी (बीवीए) के कार्यकर्ताओं ने नकद पैसे बांटने के आरोप में घेर लिया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिससे चुनावी माहौल में खलबली मच गई।

होटल में बरामद हुई बड़ी नकदी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चुनाव आयोग के अधिकारियों ने होटल में छापा मारकर बीजेपी नेता के कमरे से 9.93 लाख रुपये नकद बरामद किए। इस मामले में पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज कर ली है। अधिकारियों का कहना है कि होटल में छापेमारी की सूचना स्थानीय कार्यकर्ताओं से मिली थी, जिसके बाद कार्रवाई की गई।

प्रेस कॉन्फ्रेंस पर चुनाव आयोग की रोक
घटना के बाद बीजेपी नेताओं ने होटल में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की कोशिश की, लेकिन चुनाव आयोग ने इसे रुकवा दिया। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि मतदान से एक दिन पहले कोई भी पार्टी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं कर सकती, क्योंकि यह चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है।

बीवीए के नेता और वसई-विरार के विधायक हितेंद्र ठाकुर ने आरोप लगाया कि बीजेपी नेता को नकदी के साथ रंगे हाथों पकड़ा गया। उनके अनुसार, होटल में तावड़े के बैग से एक डायरी भी मिली है, जिसमें कथित तौर पर नकदी वितरण से संबंधित एंट्री दर्ज हैं। बीवीए नेताओं ने यह भी दावा किया कि होटल प्रशासन ने इस दौरान सीसीटीवी कैमरों को बंद कर दिया था, ताकि सबूत न जुटाए जा सकें। उन्होंने चुनाव आयोग से होटल प्रशासन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

तावड़े और बीजेपी ने दी सफाई
दूसरी ओर, बीजेपी नेता विनोद तावड़े ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे उनकी छवि खराब करने की साजिश बताया। महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने भी तावड़े का बचाव करते हुए कहा कि यह विपक्ष द्वारा जानबूझकर रची गई साजिश है। उन्होंने कहा कि बीजेपी ईमानदारी के साथ चुनाव लड़ रही है और विपक्ष हार के डर से ऐसे हथकंडे अपना रहा है।

घटना ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है। बीवीए और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। इस घटना ने न केवल बीजेपी की चुनावी रणनीति पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि इससे विपक्षी दलों को भी सरकार पर हमला बोलने का बड़ा मुद्दा मिल गया है।

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