समाजवादी पार्टी के ‘पीडीए’ फार्मूले से बीजेपी और बीएसपी परेशान
उत्तर प्रदेश: चुनावों में समाजवादी पार्टी का पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) का नारा चल जाने और फार्मूला हिट हो जाने से अखिलेश यादव बहुत खुश हैं। इस नारे में भले ही तीन समूहों का जिक्र है, लेकिन वह अपनी पार्टी में सभी लोगों की शमूलियत चाहते हैं। इसी कोशिश के तहत उन्होंने लोकसभा चुनावों में टिकटों की बंटवारे के दौरान सभी तबकों का ध्यान रखा था। अब इसी फार्मूले को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा में माता प्रसाद पांडे को विपक्ष का नेता नियुक्त किया है। इस कोशिश का मकसद ब्राह्मण तबके को अपने करीब लाना है। इसी तरह विधायक कमाल अख्तर को मुख्य सचेतक और आरके वर्मा को उप मुख्य सचेतक बनाकर समाजवादी पार्टी ने मुसलमानों और कुर्मियों को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है।
अखिलेश के इस फैसले से बीजेपी और बीएसपी में हलचल मच गई है। माता प्रसाद पांडे के विपक्ष का नेता नियुक्त होने के बाद मायावती ने अपने प्रतिक्रिया में कहा था कि समाजवादी पार्टी ने ब्राह्मणों को बेवकूफ बनाने की कोशिश की है। उनका कहना था कि ब्राह्मण समाज की कद्र केवल बीएसपी में है। इसी तरह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस फैसले के बाद उठे दर्द को छुपा नहीं पाए। मंगलवार को विधानसभा सत्र के दौरान माता प्रसाद पांडे को ‘बधाई’ देते हुए उन्होंने कहा, “आपके चुनाव पर मैं आपको बधाई पेश करता हूँ, ये अलग बात है कि आपने चाचा को धोखा दे ही दिया, बेचारे चाचा हमेशा ऐसे ही मार खाते हैं, ये उनका मुक़द्दर है क्योंकि भतीजा हमेशा उनसे खौफज़दा रहता है, लेकिन मैं सदन के एक वरिष्ठ सदस्य के तौर पर आपका सम्मान करता हूँ।”
मुख्यमंत्री योगी दरअसल इस बयान के जरिये अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव को उकसा रहे थे। इसके बाद तुरंत ही शिवपाल खड़े हुए। उन्होंने कहा कि माता प्रसाद पांडे को विपक्ष का नेता बनाने के फैसले में हम सभी शामिल रहे हैं। इसके बाद शिवपाल ने उनकी दुखती रग पर हाथ रखते हुए कहा कि दरअसल हमने आपको एक बड़ा झटका दे दिया है। योगी और शिवपाल दोनों ही बातें हँसते हुए कह रहे थे लेकिन दोनों ही यह कहते हुए बहुत गंभीर थे।
माता प्रसाद पांडे को विपक्ष का नेता बनाने का अखिलेश यादव का यह कदम एक तरह से बीजेपी द्वारा लगातार उठाए जा रहे सवालों और आलोचनाओं का एक जवाब है। समाजवादी पार्टी को मुख्य रूप से यादव और मुसलमानों की पार्टी बताया जाता रहा है। यही कहकर बीजेपी इसे ब्राह्मण विरोधी के रूप में भी पेश करती रही है। माता प्रसाद पांडे को यह पद देकर समाजवादी पार्टी ने इस बहस को सर से समाप्त कर दिया है। इससे पहले मनोज पांडे समाजवादी पार्टी में ब्राह्मण चेहरा थे जो राज्यसभा चुनावों में अपने कुछ ब्राह्मण विधायकों के साथ क्रॉस वोटिंग करके लोकसभा चुनावों से ठीक पहले बीजेपी में चले गए थे। अब इन सभी की सदस्यता पर खतरे की तलवार लटक रही है।
कमाल अख्तर को समाजवादी पार्टी में मुसलमानों के एक बड़े चेहरे के रूप में पेश करने की कोशिश की जा रही है। आजम खान के मुकदमों में उलझने के बाद एसपी को एक मुस्लिम चेहरे की तलाश थी, इसके लिए उसने कमाल अख्तर का चुनाव किया। 2004 में मुलायम सिंह ने उन्हें सीधे राज्यसभा भेजकर उनकी राजनीतिक पारी की शुरुआत कराई थी। 2012 में अमरोहा की हसनपुर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए और राज्य मंत्री बने। 2017 में चुनाव हार गए थे लेकिन इस बार मुरादाबाद की कांठ सीट से विधानसभा में पहुंचे हैं। उन्होंने जामिया मिलिया से कानून की शिक्षा प्राप्त की है। उप मुख्य सचेतक के रूप में नियुक्त किए गए डॉ. राकेश कुमार वर्मा (आरके वर्मा) का संबंध प्रतापगढ़ के रानीगंज विधानसभा क्षेत्र से है। उन्हें यह पद देकर अखिलेश ने कुर्मी समुदाय को अपने साथ करने की कोशिश की है।


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