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बीजेडी अब खुलकर बीजेपी के विरोध में आई

बीजेडी अब खुलकर बीजेपी के विरोध में आई

संसद में भाजपा का कई नाजुक मौकों पर साथ देने वाली बीजेडी भी बुधवार को खुलकर बीजेपी के विरोध में आ गई। बीजेडी संसद में बीजेपी की विश्वसनीय अनौपचारिक सहयोगी कहलाती थी। लेकिन बीजेडी अब उस शर्म से निकलने के लिए कसमसा रही है।

एक हफ्ते में यह दूसरा मौका था जब बीजेडी सांसदों ने राज्यसभा से वाकआउट किया। वे पेपर लीक और नीट जैसी परीक्षाओं में धांधली पर चर्चा की मांग को लेकर 28 जून को भी सदन में विपक्षी इंडिया गठबंधन के विरोध में शामिल हुए थे।

बुधवार को राज्यसभा में पीएम मोदी के भाषण के दौरान विपक्षी सांसदों ने नारे लगाए, क्योंकि विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को संबोधन के दौरान हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दी गई थी। इस पर जब इंडिया के दलों ने वॉकआउट किया तो उसमें बीजेडी के सांसद भी शामिल हुए। बीजेडी नेता और राज्यसभा सांसद सस्मित पात्रा को इंडिया गठबंधन की पार्टियों के साथ अपनी पार्टी के सांसदों के साथ राज्यसभा से वॉकआउट करते देखा गया।

बीजेडी के सस्मित पात्रा ने संसद के बाहर अन्य विपक्षी नेताओं की तरह बयान भी दिया। पात्रा ने पीटीआई से कहा- “यह प्रधानमंत्री का एक और, वही नियमित जवाब था, जो उनकी सरकार की उन्हीं उपलब्धियों को गिना रहा था। जब ओडिशा के लोगों की आकांक्षाओं और मांगों का कोई जिक्र नहीं था तो वहां बैठने का कोई मतलब नहीं है।राष्ट्रपति मुर्मू ने भी अपने भाषण में ओडिशा का कोई जिक्र नहीं किया।” पात्रा ने कहा- कोयला रॉयल्टी बढ़ाने, ओडिशा में राजमार्ग, रेलवे और दूरसंचार को लेकर केंद्र सरकार किनारा कर चुकी है।

बीजेडी इस बात से आहत है कि ओडिशा में चुनाव प्रचार के दौरान नवीन पटनायक की सेहत को लेकर भाजपा ने “झूठा अभियान” चलाया। बीजेडी नेताओं ने कहा कि “जब ओडिशा में भाजपा सरकार ने शपथ ली, तो नवीन पटनायक ने उस समारोह में भाग लिया। बीजेपी ने अब यह पता लगा लिया होगा कि वह ठीक हैं या नहीं, तो फिर उन्होंने (पीएम) गलत बयान क्यों दिए?

अपने चुनाव अभियान के दौरान, मयूरभंज लोकसभा क्षेत्र के बारीपदा में एक रैली को संबोधित करते हुए, पीएम मोदी ने कहा था कि पटनायक के स्वास्थ्य में “अचानक गिरावट” के बारे में “रहस्य को उजागर करने” के लिए विस्तृत जांच की आवश्यकता है। उन्होंने आरोप लगाया था कि इसके पीछे सत्ता की “लॉबी” की साजिश थी। मोदी ने रत्न भंडार को लेकर भी आरोप लगाए थे। इससे ओडिशा चुनाव का पूरा रुख पलट गया था।

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