बिल्क़ीस बानो सुप्रीम कोर्ट पहुंची, बलात्कारियों की रिहाई को चुनौती

बिल्क़ीस बानो सुप्रीम कोर्ट पहुंची, बलात्कारियों की रिहाई को चुनौती

गुजरात दंगों की पीड़िता और समूहिक बलात्कार का शिकार बिल्क़ीस बानो ने गुजरात सरकार के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है.

बता दें कि गुजरात सरकार ने एक समिति की सिफारिश पर बिल्क़ीस बानो के साथ समूहिक दुष्कर्म करने, उनके परिवार की हत्या करने वाले 11 अपराधियों को 15 अगस्त को जेल से रिहा कर दिया था. जिस समिति ने इन बलात्कारियों और हत्या जैसा अपराध करने वाले लोगों की रिहाई की सिफारिश की थी उनमे 5 भाजपा के सदस्य थे.

गुजरात सरकार के दोषियों को आज़ाद करने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. इस याचिका में सभी दोषियों की सजा पर फिर से विचार करने की गुहार लगाई गई है.

गुजरात दंगों के दौरान बिल्क़ीस बानों के परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी, दंगाइयों ने बिल्क़ीस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म भी किया था. 21 जनवरी, 2008 को हत्या और सामूहिक दुष्कर्म के मामले में मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने सभी 11 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. जिसे बॉम्बे हाईकोर्ट ने बरकरार रखा था.

3 मार्च 2002 को दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका के रंधिकपुर गांव में दंगे के दौरान दंगाईयों ने बिल्क़ीस बानो के परिवार को निशाना बनाया था. अपराधियों ने पाँच महीने की गर्भवती बिल्क़ीस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और उनके परिवार के सात सदस्यों की निर्मम हत्या कर दी थी.

अपने मुजरिमों की रिहाई के बारे में जानकर प्रतिक्रिया देते हुए बिल्क़ीस बानो ने कहा कि मेरे परिवार और मेरे जीवन को तबाह कर देने वाले 11 अपराधियों की रिहाई के बारे में जब मैंने सुना, वह अपराधी जिन्होंने मेरी 3 साल की बेटी को भी मुझसे छीन लिया, तो मैं पूरी तरह से निःशब्द हो गई.

बिल्क़ीस बानो ने कहा कि मैं अभी भी स्तब्ध हूं, आज मैं बस इतना ही कह सकती हूं – किसी भी महिला के लिए न्याय इस तरह कैसे खत्म हो सकता है? मुझे अपने देश की सर्वोच्च अदालतों पर भरोसा था. मुझे सिस्टम पर भरोसा था और मैं धीरे-धीरे अपने आघात के साथ जीना सीख रही थी. लेकिन इन दोषियों की रिहाई ने मेरी शांति छीन ली है और न्याय में मेरे विश्वास को हिला दिया है.

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