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बिहार चुनाव: मुस्लिम प्रतिनिधित्व में बड़ी गिरावट, केवल 9 मुस्लिम जीते

बिहार चुनाव: मुस्लिम प्रतिनिधित्व में बड़ी गिरावट, केवल 9 मुस्लिम जीते

बिहार विधानसभा चुनाव के ताज़ा नतीजों ने राज्य में मुस्लिम प्रतिनिधित्व में बड़ी गिरावट दर्ज की है। इस बार केवल 9 मुस्लिम उम्मीदवार ही विधानसभा तक पहुँच पाए हैं, जबकि 2020 के चुनाव में यह संख्या 19 थी। इससे पहले 2015 में 24, 2010 में 19 और 2005 में 16 मुस्लिम उम्मीदवार विजयी हुए थे। इस तुलना के आधार पर यह कहा जा रहा है कि, इस बार मुस्लिम प्रतिनिधित्व पिछले कई चुनावों के मुकाबले काफी कम हुआ है।

इन 9 विजयी उम्मीदवारों में से सबसे अधिक 5 उम्मीदवार एआईएमआईएम के हैं, जिन्होंने सीमांचल क्षेत्र में लगातार दूसरी बार मजबूत प्रदर्शन किया है। ओवैसी की पार्टी ने जोकीहाट, कोचाधामन, ठाकुरगंज, अमौर और बायसी जैसी मुस्लिम बहुल सीटों पर जीत हासिल की है। एआईएमआईएम के प्रदेशाध्यक्ष अख्तरुल इमान ने अमौर सीट से दूसरी बार जीत दर्ज की, जो सीमांचल में उनकी बढ़ती राजनीतिक पकड़ को दर्शाता है।

आरजेडी भी इस चुनाव में तीन मुस्लिम उम्मीदवारों को जीत दिलाने में सफल रही। रघुनाथपुर से ओसामा शहाब, बसफी से आसिफ अहमद और ढाका से मोहम्मद फैसल रहमान विधानसभा पहुँचने में कामयाब हुए। इन तीनों ने अपने-अपने क्षेत्रों में कड़ी टक्कर के बीच जीत दर्ज की। जेडीयू की ओर से केवल एक मुस्लिम उम्मीदवार, जमां खान, अपनी सीट बचाने में सफल रहे, जो इस बार सत्तारूढ़ गठबंधन में मुस्लिम प्रतिनिधित्व के कम होने की ओर संकेत करता है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार एनडीए की बड़ी जीत और मतदान पैटर्न के बदलने से मुस्लिम प्रतिनिधित्व प्रभावित हुआ है। हालांकि सीमांचल क्षेत्र में एआईएमआईएम ने जो मजबूती दिखाई है, उसने राज्य की राजनीति में एक नया समीकरण खड़ा किया है। लगातार दो चुनावों में सीमांचल में अच्छा प्रदर्शन कर एआईएमआईएम ने यह संकेत दिया है कि इस क्षेत्र में उसका समर्थन आधार स्थिर हो चुका है।

कुल मिलाकर, इस बार के विधानसभा चुनावों में मुस्लिम उम्मीदवारों का प्रदर्शन उम्मीद से कम रहा है और उनकी संख्या एक दशक में सबसे नीचे आ गई है, जबकि एआईएमआईएम ने सीमांचल में अपनी राजनीतिक उपस्थिति को और मजबूत किया है।

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