चुनाव से पहले पत्रकार गौरी लंकेश हत्याकांड के आरोपी शिवसेना (शिंदे गुट) में शामिल
महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। एक बड़ा विवाद तब खड़ा हुआ जब पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के आरोपियों में से एक ने शिवसेना (शिंदे गुट) में शामिल होने का फैसला किया। यह घटना राजनीतिक और सामाजिक दोनों ही दृष्टिकोण से गहरी चर्चा का विषय बनी हुई है।
गौरी लंकेश, जो कि एक प्रसिद्ध पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता थीं, को 2017 में उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। लंकेश अपनी विचारधारा और लेखनी के कारण विभिन्न अतिवादी समूहों के निशाने पर थीं, क्योंकि वह खुलेआम सांप्रदायिकता और कट्टरपंथ के खिलाफ बोलती थीं। उनकी हत्या के बाद देशभर में लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गहरी चिंता जताई गई थी। इस हत्या की जांच में कई आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से कुछ दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़े हुए थे।
क़रीब दो हफ़्ते पहले ही बेंगलुरु की एक सत्र अदालत ने लंकेश की हत्या में शामिल आठ आरोपियों को ज़मानत दे दी थी। अदालत ने आरोपी अमोल काले, राजेश डी बंगेरा, वासुदेव सूर्यवंशी, रुशिकेश देवडेकर, परशुराम वाघमोर, गणेश मिस्किन, अमित बड्डी और मनोहर यादवे को ज़मानत दी थी। इससे पहले 4 सितंबर को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भी मामले में चार आरोपियों को ज़मानत दी थी। ज़मानत पाने वालों में भरत कुराने, श्रीकांत पंगारकर, सुजीत कुमार और सुधन्वा गोंधलेकर शामिल थे।
2001 से 2006 के बीच शिवसेना के जालना नगर पार्षद रहे पंगारकर को अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था और इस साल 4 सितंबर को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत दे दी थी। 2011 में शिवसेना द्वारा टिकट देने से इनकार किए जाने के बाद पंगारकर दक्षिणपंथी हिंदू जनजागृति समिति में शामिल हो गए थे।
अब वह फिर से पार्टी नेता और पूर्व राज्य मंत्री अर्जुन खोतकर की मौजूदगी में शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना में शामिल हुए। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार खोतकर ने संवाददाताओं से कहा, ‘पंगारकर पूर्व शिव सैनिक हैं और पार्टी में वापस आ गए हैं। उन्हें जालना विधानसभा चुनाव अभियान का प्रमुख नामित किया गया है।’ खोतकर ने यह भी कहा कि वह जालना से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि महायुति में सीट बंटवारे पर चर्चा अभी भी चल रही है।