बरेली हिंसा: मौलाना तौक़ीर रज़ा गिरफ़्तार, 14 दिन की न्यायिक हिरासत
बरेली में जुमे की नमाज के बाद भड़की हिंसा से उत्तर प्रदेश की सियासत में हलचल मच गई है। पुलिस ने इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (IMC) के प्रमुख मौलाना तौक़ीर रज़ा सहित आठ लोगों को गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया है। मौलाना को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। इसके अलावा 39 लोगों को हिरासत में लिया गया है, जबकि करीब 2,000 अज्ञात लोगों के खिलाफ 10 एफआईआर दर्ज की गई हैं।
शुक्रवार की नमाज के बाद तौक़ीर रज़ा की अपील पर बड़ी संख्या में लोग सड़क पर उतरे। प्रदर्शनकारियों के हाथों में ‘आई लव मोहम्मद’ लिखे पोस्टर थे। हालांकि प्रशासन ने प्रदर्शन की अनुमति पहले ही ख़ारिज कर दी थी और खुद मौलाना ने अंतिम समय पर इसे टालने का एलान किया था। इसके बावजूद भीड़ अल हजरत दरगाह और मौलाना के घर के पास इकट्ठा हो गई। जब पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो प्रदर्शनकारियों ने पथराव शुरू कर दिया। जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज किया।
एसएसपी बरेली ने बताया कि हिंसा से जुड़े मामलों में अब तक कोतवाली थाने में पांच, बरादरी में दो, प्रेमनगर और कैंट थानों में एक-एक केस दर्ज किया गया है। सात मुकदमों में मौलाना तौक़ीर रज़ा का नाम शामिल है। पुलिस ने कहा कि वीडियो फुटेज और तस्वीरों की मदद से बाकी आरोपियों की पहचान कर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले पर सख़्त टिप्पणी करते हुए कहा कि, मौलाना भूल गए कि शासन किसका है। उन्होंने चेतावनी दी कि दंगा फैलाने वालों को ऐसा सबक़ सिखाया जाएगा कि, आने वाली पीढ़ियां भी याद रखेंगी। सीएम ने साफ़ कहा कि कानून हाथ में लेने वालों को किसी भी हाल में बख़्शा नहीं जाएगा।
बरेली के जिलाधिकारी अविनाश सिंह ने नागरिकों से अफ़वाहों से बचने की अपील की। डीआईजी अजय कुमार साहनी ने कहा कि उपद्रवियों की पहचान जारी है और सभी दोषियों पर कार्रवाई होगी। वहीं, राज्य सरकार ने हिंसा को पूर्वनियोजित साजिश करार देते हुए कहा कि इसका मक़सद पश्चिमी यूपी के निवेश और औद्योगिक माहौल को खराब करना था।

