बहुजन समाज को, सपा, बीजेपी और कांग्रेस से सावधान रहना चाहिए: मायावती

बहुजन समाज को, सपा, बीजेपी और कांग्रेस से सावधान रहना चाहिए: मायावती

बीएसपी सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बुधवार को जाति आधारित जनगणना की मांग को दोहराते हुए कहा कि कांग्रेस, बीजेपी और समाजवादी पार्टी (एसपी) तीनों ही जातिवाद को बढ़ावा देती हैं और बहुजन समाज को इनसे सतर्क रहने की जरूरत है।

बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद मायावती ने कहा कि गांधीवादी कांग्रेस, आरएसएस समर्थक बीजेपी और एसपी जातिवाद को बढ़ावा देने वाली और उत्पीड़न करने वाली पार्टियां हैं। बहुजन समाज की असली हितैषी नहीं हैं, बल्कि उनकी भलाई और आत्म-सम्मान एवं गरिमा की लड़ाई में बाधा हैं। जबकि अंबेडकरवादी आंदोलन के लिए देश में बहुजन समाज पार्टी ही उनकी सच्ची और स्थायी हितैषी है।

मायावती ने नई दिल्ली में कांशीराम को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अगर ऐसा नहीं होता, तो बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की कड़ी मेहनत के बाद बहुजनों के लिए बनाए गए कल्याणकारी संविधान के चलते आज़ादी के लगभग 75 साल बाद तक देश में बहुजनों की स्थिति काफी बेहतर हो गई होती। ऐसा नहीं हुआ, और आज भी करोड़ों बहुजन लोग लाचारी, मजबूरी और गरीबी में जीवन व्यतीत कर रहे हैं और अन्याय और शोषण का शिकार हो रहे हैं। इससे यह साबित होता है कि देश की सत्ता पर लंबे समय तक काबिज रही कांग्रेस और बीजेपी जैसी पार्टियों की सरकारें न तो संविधान का सही से पालन कर रही हैं और न ही सच्ची देशभक्त हैं।

बीएसपी सुप्रीमो ने आरोप लगाया कि कांग्रेस, बीजेपी और एसपी जैसी पार्टियों ने आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था का सही लाभ उन उपेक्षित तबकों के करोड़ों लोगों को देने के बजाय इस व्यवस्था को ही निष्क्रिय और अप्रभावी बना दिया। इन्हीं साजिशों का नतीजा है कि बहुजनों को बांटने के लिए अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के आरक्षण में वर्गीकरण की कोशिश की जा रही है। अगर ऐसा नहीं होता, तो इन तबकों के आरक्षण को अब तक संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करके इसे न्यायिक हस्तक्षेप से सुरक्षित कर दिया गया होता।

उन्होंने कहा कि अब जब सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से एससी-एसटी समाज के आरक्षण में वर्गीकरण का मामला है, तो न तो बीजेपी/एनडीए सरकार और न ही कांग्रेस और इंडिया गठबंधन इसके लिए कोई संवैधानिक संशोधन विधेयक लाने के लिए तैयार हैं। क्योंकि इनकी नीयत में इतनी खोट है कि वे आरक्षण के प्रस्तावों को समाप्त करने की ही मंशा रखते हैं, जो उनके बयानों से स्पष्ट होता है। मायावती ने कहा कि बहुजनों को सम्मान और गरिमा के साथ जीवन जीने का जो अमूल्य संवैधानिक अधिकार मिला है, वह सिर्फ दस्तावेजों में न रहे, बल्कि उसका जमीन पर लाभ पाने के लिए बहुजनों को केंद्र और राज्यों में सत्ता की चाबी हासिल करना आवश्यक है।

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