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गोपनीयता का ख़तरा बताकर Apple ने संचार साथी ऐप को प्री-लोड करने से इंकार किया

गोपनीयता का ख़तरा बताकर Apple ने संचार साथी ऐप को प्री-लोड करने से इंकार किया

अमेरिकी कंपनी Apple ने भारत में अपने सभी नए स्मार्टफ़ोन में सरकार द्वारा बनाई गई साइबर सुरक्षा ऐप ‘संचार साथी’ को पहले से इंस्टॉल करने के आदेश का पालन न करने का निर्णय लिया है। कंपनी ने इसकी वजह गोपनीयता और सुरक्षा से जुड़े गंभीर चिंताओं को बताया है। उम्मीद है कि कंपनी जल्द ही अपने आपत्तियों की जानकारी केंद्र सरकार को औपचारिक रूप से देगी।

सूत्रों के अनुसार Apple सरकार को यह तर्क देगा कि वह दुनिया में कहीं भी किसी सरकारी ऐप को अनिवार्य रूप से पहले से इंस्टॉल नहीं करता, क्योंकि इससे उसके iOS प्रणाली की सुरक्षा कमज़ोर हो सकती है और उपयोगकर्ताओं की निजी जानकारी को नुकसान पहुँच सकता है। कंपनी के इस आदेश को अदालत में चुनौती देने की फिलहाल संभावना नहीं है, लेकिन वह सीधे बातचीत के माध्यम से सरकार के साथ इसका विरोध दर्ज कराने को तैयार है।

Samsung सहित अन्य निर्माता भी इस आदेश की समीक्षा कर रहे हैं। Apple की बंद प्रणाली के विपरीत, Android की खुली प्रकृति Samsung और Xiaomi जैसे ब्रांडों को सॉफ़्टवेयर में बदलाव करने के लिए अधिक सुविधा देती है।

गौरतलब है कि 28 नवंबर को दूरसंचार विभाग ने एक गोपनीय आदेश में सभी स्मार्टफ़ोन निर्माताओं को निर्देश दिया था कि वे 90 दिनों के भीतर संचार साथी ऐप को सभी नए मोबाइल फ़ोन में पहले से इंस्टॉल करें और यह भी सुनिश्चित करें कि उपयोगकर्ता उसे हटाने या मिटाने न पा सकें। कंपनियों को यह भी कहा गया था कि वे सॉफ़्टवेयर अपडेट के माध्यम से सप्लाई चेन में पहले से मौजूद उपकरणों पर भी इस ऐप को जोड़ें।

दूरसंचार मंत्रालय ने बाद में इस कदम को साइबर सुरक्षा से जुड़े “गंभीर खतरे” का सामना करने के लिए आवश्यक बताया। उसका कहना है कि यह ऐप चोरी हुए फ़ोन खोजने, IMEI नंबर की जाँच करने और उनके दुरुपयोग को रोकने के लिए सभी स्मार्टफ़ोन में अनिवार्य रूप से लगाई जा रही है। केंद्र सरकार के इस आदेश की गोपनीयता समर्थकों द्वारा आलोचना की जा रही है, जिनका कहना है कि इससे भारत में लगभग 73 करोड़ स्मार्टफ़ोन की निगरानी संभव हो जाएगी।

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