कश्मीर में सेब किसानों को हुआ 1000 करोड़ का नुकसान
श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर 2 से 3 हज़ार ट्रक फंसे हुए हैं। हर ट्रक में 700 से 1200 डिब्बे सेब होते हैं, जिनकी कीमत 10 से 15 लाख रुपये तक होती है। कश्मीर में इस बार की बेहतरीन पैदावार से जहां किसानों और व्यापारियों में उत्साह था, वहीं अब वे निराशा और लगभग 1000 करोड़ रुपये तक के नुकसान का सामना कर रहे हैं। 270 किलोमीटर लंबा श्रीनगर-जम्मू हाईवे, जो राज्य को बाकी देश से जोड़ने वाला एकमात्र ज़मीनी रास्ता है, बंद पड़ा है। इस पर सेब से भरे हज़ारों ट्रक खड़े हैं और फल खराब हो रहे हैं।
पिछले 15 दिनों से बंद रहने के बाद हाईवे अब खुला है, मगर ट्रैफिक असामान्य रूप से भारी है। सोमवार को सेब व्यापारियों ने माल को देश के अन्य हिस्सों तक पहुंचाने के लिए पर्याप्त इंतज़ाम न होने पर ज़ोरदार विरोध किया।
नुकसान में हर पल बढ़ोतरी
सेब कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि किसानों और व्यापारियों को अब तक 1000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है और यह लगातार बढ़ रहा है। इससे घाटी में हज़ारों लोगों की रोज़ी-रोटी पर संकट आ गया है। बारामूला ज़िले के सोपोर के बाग़बान अल्ताफ़ अहमद ने कहा, “इस साल बंपर पैदावार हुई थी। इससे हमें राहत मिलने की उम्मीद थी, लेकिन फसल कटाई के समय हाईवे बंद हो जाने से हमारी खुशियां मातम में बदल गईं। हम अपनी मेहनत को अपनी आंखों के सामने बर्बाद होते देख रहे हैं।”
हर साल 20 से 25 लाख मीट्रिक टन पैदावार
कश्मीर हर साल लगभग 20 से 25 लाख मीट्रिक टन सेब पैदा करता है। इनकी आपूर्ति पूरी तरह श्रीनगर-जम्मू हाईवे पर निर्भर है। 25 अगस्त को भारी बारिश से सड़क को नुकसान पहुंचा, जिसके बाद हाईवे पर ट्रकों की आवाजाही रोक दी गई। हाल ही में छोटी गाड़ियों को अनुमति दी गई है, लेकिन सड़क की खराब हालत के चलते ट्रक अब भी नहीं चल पा रहे।
2 से 3 हज़ार ट्रक फंसे
‘कश्मीर वैली फ्रूट ग्रोअर्स कम डीलर्स यूनियन’ के अध्यक्ष बशीर अहमद बशीर के अनुसार करीब 2 से 3 हज़ार ट्रक सेब और नाशपाती से भरे अलग-अलग जगहों पर फंसे हैं। उन्होंने कहा, “ज़्यादातर फल अब तक गल-सड़ गए होंगे। ट्रक लगभग 20 दिनों से फंसे हुए हैं। हर ट्रक में 700 से 1200 डिब्बे होते हैं, जिनकी कीमत 10 से 15 लाख रुपये के बीच होती है। हमें डर है कि लगभग 30 लाख डिब्बे सेब बर्बाद हो चुके हैं।” उन्होंने अंदेशा जताया कि नुकसान 1000 करोड़ रुपये से आगे निकल चुका है और यह रोज़ाना बढ़ रहा है।
सेब मंडियों के गोदामों में भी सड़ रहे
घाटी की सभी 12 फल मंडियां भी प्रभावित हुई हैं। सोपोर फल मंडी के अध्यक्ष फ़ैयाज़ अहमद मलिक ने बताया, “रोज़ाना 200 से 300 ट्रक सेब सोपोर से देश की विभिन्न मंडियों के लिए निकलते हैं। अब न सिर्फ़ हमारे ट्रक हाईवे पर फंसे हैं, बल्कि कई ट्रक मंडी में ही खड़े-खड़े खराब हो रहे हैं। सेब ट्रकों, मंडियों और गोदामों में सड़ रहे हैं और नुकसान बढ़ता जा रहा है।” एक अन्य बाग़बान जावेद अहमद ने स्थिति को बेहद निराशाजनक बताते हुए कहा, “हमारी पैदावार ट्रकों, मंडियों और घरों में सड़ रही है। हमने अपनी जान इन बाग़ों में लगा दी थी और अब मजबूरी में यह सब बर्बाद होता देख रहे हैं।”

