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हकीम अजमल ख़ान को भारत रत्न देने की अपील 

हकीम अजमल ख़ान को भारत रत्न देने की अपील  

प्रसिद्ध गाँधीवादी तेज लाल भारती ने केन्द्र सरकार से माँग की है कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और यूनानी चिकित्सा के जनक मसीह-उल-मुल्क हकीम अजमल ख़ान को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया जाए। यह अपील गुरुवार को हकीम अजमल ख़ान फ़ोरम फ़ॉर पीस एंड हार्मनी की बैठक में की गई। बैठक की अध्यक्षता फ़ोरम के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेज लाल भारती ने की। बैठक में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें इस दूरदर्शी नेता को सम्मान देने की माँग की गई, जिन्होंने न केवल देश की आज़ादी की लड़ाई में बल्कि स्वदेशी चिकित्सा पद्धति के आधुनिकीकरण में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

हकीम अजमल ख़ान (1868-1927) अपने समय के प्रमुख नेताओं में गिने जाते थे। वे एक चिकित्सक, शिक्षाविद और राष्ट्रवादी थे, जिन्होंने अपना जीवन जनता की सेवा को समर्पित कर दिया। उन्हें “क़ौम का मसीहा” कहा जाता था। यूनानी चिकित्सा के विकास में उनका योगदान अविस्मरणीय है। वे 1920 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के संस्थापकों में से एक रहे, जो स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान शिक्षा का अहम केन्द्र बना। उन्होंने दिल्ली में तिब्बिया कॉलेज की स्थापना की, जहाँ यूनानी और आधुनिक चिकित्सा शिक्षा को एक साथ जोड़ा गया। साथ ही, उन्होंने देश का पहला संयुक्त अस्पताल व शोध केन्द्र भी बनाया, जिसे भारत का पहला “ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज़” कहा जा सकता है।

स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के अलावा हकीम अजमल ख़ान सक्रिय राजनीतिक हस्ती भी थे। उन्होंने 1921 में इंडियन नेशनल कांग्रेस की अध्यक्षता की, ऑल इंडिया खिलाफ़त कमेटी के अध्यक्ष रहे, उन्होंने महात्मा गाँधी सहित अन्य नेताओं के साथ अनेक आंदोलनों में भाग लिया। उनकी मानवतावादी सोच राजनीति से आगे बढ़कर थी। उन्होंने सांप्रदायिक सौहार्द, महिला शिक्षा और ग़रीबों के स्वास्थ्य की वकालत की।

बैठक के दौरान तेज लाल भारती ने कहा, “सरकार को चाहिए कि हकीम अजमल ख़ान को भारत रत्न देने की पहल करे, ताकि उनकी बेमिसाल सेवाओं के प्रति आभार व्यक्त किया जा सके।” उन्होंने ‘बच्चों का घर’ नामक संस्था का भी उल्लेख किया, जो आज भी अनाथों और ग़रीबों के लिए आश्रय स्थल के रूप में काम कर रही है। उन्होंने दिल्ली प्रशासन से अपील की कि इस ऐतिहासिक धरोहर से जुड़े शैक्षणिक संस्थानों की उपेक्षा न होने दें।

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