समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर मोदी सरकार को एक और सहयोगी पार्टी ने दिया झटका
देश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करना मोदी सरकार के लिए आसान नहीं होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि एक तरफ विपक्षी पार्टियां इसके खिलाफ जमकर आवाज उठा रही हैं तो वहीं दूसरी तरफ एनडीए में शामिल पार्टियों ने भी इसका विरोध करना शुरू कर दिया है.
तमिलनाडु में बीजेपी की सहयोगी पार्टी एआईएडीएमके ने यह कहकर बीजेपी को झटका दिया है कि पार्टी ने भारत सरकार से समान नागरिक संहिता के लिए संविधान में संशोधन न करने का अनुरोध किया है. एआईएडीएमके का मानना है कि यह कानून भारत के अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा.
मालूम हो कि समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन तलाक़ का मुद्दा उठाया था, और कहा था कि इससे मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय हो रहा है,लेकिन अगर समान नागरिक संहिता क़ानून इसलिए लाया जा रहा है तो अदालत ने तीन तलाक़ को पहले ही असंवैद्यानिक क़रार दे दिया है. फिर भी अगर कोई मुश्किल थी तो इसके विरुद्ध अध्यादेश लाया जा सकता था जैसा कि दिल्ली सरकार के विरुद्ध लाया गया है. इसके लिए समान नागरिक संहिता क़ानून क्यों क्यों ?
इस क़ानून विरुद्ध एनडीए में भी मतभेद नज़र आ रहे हैं। नेशनल पीपुल्स पार्टी के बाद, एआईएडीएमके समान नागरिक संहिता का विरोध करने वाली दूसरी प्रमुख भाजपा समर्थक पार्टी है। अब देखने वाली बात यह है कि मोदी सरकार उनकी बात सुनती है या नहीं, या फिर इन पार्टियों को मनाने में कामयाब होती है. दिलचस्प बात यह है कि इससे पहले नागालैंड में बीजेपी की एक और सहयोगी नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) ने समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन पर अपनी आपत्ति व्यक्त की थी।
गौरतलब है कि समान नागरिक संहिता लंबे समय से बीजेपी के एजेंडे में थी. 14 जून को, विधि आयोग ने 30 दिनों के भीतर प्रस्ताव पर जनता और मान्यता प्राप्त धार्मिक संस्थानों से प्रतिक्रिया मांगकर समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन पर गतिविधि फिर से शुरू की। यह बिल आगामी संसदीय सत्र में पेश किया जा सकता है.
चूंकि बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले तैयार किए गए अपने चुनावी घोषणापत्र में समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया था, इसलिए 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यूसीसी को लागू करने की गतिविधियां तेज हो गई हैं। इस कानून के लागू होने के बाद सभी प्रकार के कानून सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होंगे चाहे उनका धर्म, लिंग कुछ भी हो। यह कानून संविधान के अनुच्छेद 44 के अंतर्गत आता है जिसमें कहा गया है कि राज्य पूरे भारत में नागरिकों के लिए समान नागरिक कानून सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा।