Site icon ISCPress

असम सरकार द्वारा विदेशी घोषित किए गए अमजद अली की मौत

असम सरकार द्वारा विदेशी घोषित किए गए अमजद अली की मौत

56 वर्षीय बंगाली मूल के एक मुस्लिम व्यक्ति, जिन्हें मई में असम में घोषित विदेशियों के खिलाफ चलाए गए अभियान के दौरान गिरफ्तार किया गया था, हिरासत केंद्र में कैंसर के कारण दम तोड़ दिया। बारपेटा ज़िले के रूमारी गाँव के रहने वाले अमजद अली को 28 मई को गिरफ्तार कर मटिया डिटेंशन सेंटर, जो देश का सबसे बड़ा हिरासत केंद्र है, भेजा गया था।

सियासत उर्दू न्यूज़ पेपर के अनुसार, हिरासत केंद्र के एक अधिकारी ने स्क्रोल डॉट इन को बताया, “कैम्प में रहते हुए उनकी तबियत बिगड़ गई। उन्हें पहले गोलपाड़ा सिविल अस्पताल ले जाया गया, जहाँ से 1 अगस्त को गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल रेफ़र कर दिया गया।”

11 अगस्त को उनकी मेडिकल रिपोर्ट्स ने कैंसर की पुष्टि की। अधिकारी के अनुसार, गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के डॉक्टरों ने अमजद को बताया कि इसका कोई इलाज संभव नहीं है और केवल लक्षणों को कम करने पर ध्यान दिया जाएगा।

असम में 1997 के मतदाता सूची पंजीकरण के दौरान, अमजद को ‘डी’ वोटर यानी संदिग्ध मतदाता के रूप में चिह्नित किया गया था। अप्रैल 2021 में विदेशी न्यायाधिकरण (फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल) ने उन्हें विदेशी घोषित कर दिया।

ध्यान देने योग्य है कि असम, भारत का एकमात्र राज्य है जहाँ विदेशी न्यायाधिकरण (FTs) मौजूद हैं। जुलाई 2024 तक पूर्वोत्तर राज्य में 100 सक्रिय FT काम कर रहे हैं। ये ट्रिब्यूनल भारत में अवैध विदेशियों की पहचान के लिए बनाए गए हैं और अधिकारियों को गवाह बुलाने, शपथ पर जाँच करने और दस्तावेज़ों के आधार पर निर्णय लेने की शक्ति देते हैं।

अमजद को इस बात का पता नहीं था कि, सरकार ने उन्हें विदेशी घोषित कर दिया है। गिरफ्तारी के समय ही उन्हें इसकी जानकारी हुई। उनके परिवार ने बताया कि, ट्रिब्यूनल ने उन साक्ष्यों को भी खारिज कर दिया था, जिनमें उनके और उनके माता-पिता के नाम 1950 के दशक से मतदाता सूची में दर्ज थे।

अमजद के चचेरे भाई अब्दुल जलील ने उनकी बिगड़ती सेहत के कारण रिहाई की माँग करते हुए गोलपाड़ा के डिप्टी कमिश्नर को पत्र लिखा, लेकिन उनकी याचिका खारिज कर दी गई। 11 सितंबर को अमजद को गुवाहाटी के स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में भर्ती कराया गया, जहाँ अंततः उनकी मौत हो गई। वे अपनी माँ, पत्नी, तीन बेटे और चार बेटियों को पीछे छोड़ गए। इस साल मटिया हिरासत केंद्र में यह दूसरी मौत है। अप्रैल में 42 वर्षीय मोहम्मद अब्दुल मुत्तलिब की भी इसी हिरासत केंद्र में मौत हो गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने मटिया डिटेंशन सेंटर की स्थितियों को “संतोषजनक” बताया था और असम सरकार को आदेश दिया था कि, पानी, शौचालय, भोजन की गुणवत्ता और स्वास्थ्य सेवाओं में कमियों को देखते हुए एक महीने के भीतर सुविधाओं में सुधार करे।

Exit mobile version