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सूफी संत के खिलाफ टिप्पणी मामले में अमिश देवगन पर चलेगा केस

पत्रकार अमिश देवगन (Anchor Amish Devgan) ने कुछ महीने पहले सूफी संत (Sufi Saint Moinuddin Chishti) के खिलाफ टिप्पणी की थी जिसके बाद अमिश देवगन के ख़िलाफ़ FIR दर्ज कराई गई थी जिसके बाद अमिश देवगन ने FIR रद्द करने की मांग की थी जिसको सुप्रीम कोर्ट ने रद्द करने से मना कर दिया है. हालांकि, कोर्ट ने कहा कि अगर जांच में सहयोग करते रहेंगे तो गिरफ्तारी से सुरक्षा मिलती रहेगी.

बता दें कि इसके साथ ही सोमवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने अमिश देवगन के खिलाफ सभी एफआईआर अजमेर ट्रांसफर कर दी हैं. पहली एफआईआर अजमेर में दर्ज की गई थी. बाद में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना में भी एफआईआर दर्ज की गई थी,
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना समेत विभिन्न राज्यों में देवगन के खिलाफ दर्ज सभी प्राथमिकियों को राजस्थान के अजमेर में स्थानांतरित कर दिया. बता दें कि पीठ ने देवगन को प्राथमिकी के संबंध में किसी कठोर कार्रवाई से संरक्षण प्रदान किया था. इसके बाद से न्यायालय पत्रकार को किसी भी कठोर कार्रवाई से संरक्षण की अवधि बढ़ाता आ रहा है.

क्या है पूरा मामला?

एक समाचार चैनल पर ‘आर पार’ नाम के शो में 15 जून को सूफी संत के लिए आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल करने के मामले में देवगन के खिलाफ राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना में कई FIR दर्ज किए गए हैं. हालांकि, बाद में उन्होंने ट्वीट करके खेद जताया था और कहा था कि वह दरअसल मुस्लिम शासक अलाउद्दीन खिलजी का जिक्र कर रहे थे और गलती से चिश्ती का नाम बोल गये.

देवगन ने FIR दर्ज करने के अनुरोध को लेकर वकील मृणाल भारती के माध्यम से शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था. उन्होंने कहा था कि उनकी जुबान फिसल गयी थी और वह इसके लिए पहले ही खेद प्रकट कर चुके हैं.

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