रोहिंग्या नरसंहार अमेरिका ने माना, 10 लाख लोगों को म्यांमार से भगाया गया
म्यांमार में आंग सान सू की के नेतृत्व वाली सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ बौद्ध आतंकियों के साथ मिलकर नरसंहार चलाया था जिसमे बड़े पैमाने पर रोहिंग्या मुसिमों की हत्या, उनके घरों में आग और पलायन हुआ था।
अमेरिका ने भी अब रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ म्यांमार सरकार द्वारा नरसंहार को स्वीकार करते हुए कहा है कि इस दौरान 10 लाख रोहिंग्या मुसलमानों को देश से जबरन निकाल दिया गया। साथ ही बड़े पैमाने पर लोगों को सूली पर लटकाने, सामूहिक दुष्कर्म, जिंदा जलाने और डुबोने जैसे जघन्य तरीके अपनाते हुए बड़े पैमाने पर रोहिंग्या समुदाय की हत्या की गई।
सोमवार को अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकेन म्यांमार हिंसा को अधिकारिक रूप से नरसंहार घोषित करेंगे। इस अवसर पर युद्ध अपराध के लिए कानूनी दस्तावेज जारी किए जाएंगे जिसे अमेरिकी जांचकर्ताओं ने 2018 में तैयार किया था। इस दस्तावेज कहा गया है कि सैन्य सरकार ने रोहिंग्या समुदाय का नरसंहार किया था। इस दस्तावेज को अमेरिकी होलोकास्ट मेमोरियल म्यूजियम में रखा जाएगा।
अमेरिका म्यांमार को दी जाने वाली सहायता में कटौती करते हुए सैन्य शासन के खिलाफ अतिरिक्त आर्थिक पाबंदियां लगा सकता है। बता दें कि फरवरी 2021 में सैन्य विद्रोह के बाद आंग सान सू की के नेतृत्व वाली सरकार को बेदखल कर दिया गया था। बाइडन प्रशासन ने अब पहली बार म्यांमार में हुए तख्तापलट को विद्रोह और तख्तापलट माना है।
अमेरिकी प्रशासन के इस फैसले के बाद देश में एक बार फिर नई बहस छिड़ सकती है क्योंकि इस से पहले ट्रम्प प्रशासन इस मामले पर ढुलमुल रवैया अपना रहा था और कोई कदम नहीं उठाया था। अमेरिकी विदेश विभाग ने अब तक म्यांमार सरकार को अल्पसंख्यक रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ व्यापक योजना को नरसंहार के जिम्मेदारों में नहीं माना था लेकिन अब अमेरिका ने पुष्टि कर दी है कि इस नरसंहार के लिए सरकार को जिम्मेदार माना जाएगा।