ISCPress

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने यूसीसी पर इमरजेंसी बैठक की

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने यूसीसी पर इमरजेंसी बैठक की

इस महीने की शुरुआत में, विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता पर नए सिरे से परामर्श प्रक्रिया शुरू की, जिसमें राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दे पर सभी स्टेकहोल्डर्स से विचार मांगे गए थे। लेकिन भारत में यूसीसी का मुद्दा राजनीतिक ज्यादा और सामाजिक कम है।

देश के आजाद होने के बाद हमारे नीति निर्धारकों ने पाया कि भारत विविधाताओं वाला देश है और हर धर्म के अपने कुछ नियम-कानून हैं जो उसी हिसाब से चलते हैं। इसलिए देश ने यूसीसी पर कभी विचार नहीं किया। लेकिन भाजपा के सत्ता में आने के बाद उसने न सिर्फ अपने चुनावी वादों में शामिल किया, बल्कि हर चुनाव में वो इस पर जोर देती रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने भोपाल में यूसीसी की जोरदार वकालत करते हुए कहा कि संविधान में भी सभी नागरिकों के लिए समान अधिकारों का उल्लेख है। पीएम मोदी ने कहा कि बीजेपी ने फैसला किया है कि वह तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति का रास्ता नहीं अपनाएगी और आरोप लगाया कि विपक्ष यूसीसी के मुद्दे का इस्तेमाल मुस्लिम समुदाय को गुमराह करने और भड़काने के लिए कर रहा है।

हालांकि यूसीसी का मुद्दा विपक्ष ने नहीं बल्कि पीएम मोदी ने छेड़ा है। यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) व्यापक कानूनों के एक समूह को संदर्भित करती है जो देश में सभी पर लागू होता है। धर्म-आधारित व्यक्तिगत कानूनों, विरासत, गोद लेने और उत्तराधिकार के नियमों की जगह फिर यूसीसी के नियम लागू हो जाते हैं।

समान नागरिक संहिता (यूसीसी) कानून का मुद्दा उठाने पर विपक्षी दलों ने जहां तीखी प्रतिक्रिया दी है, वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मंगलवार देर रात इस मुद्दे पर विचार के लिए अपनी इमरजेंसी बैठक बुला ली। प्रधानमंत्री मोदी ने कल मंगलवार को भोपाल में यूसीसी का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि जब देश एक है तो दो कानून यहां कैसे चल सकते हैं। उन्होंने तीन तलाक का मामला भी छेड़ा और कहा, तमाम मुस्लिम देश इसे खत्म कर चुके हैं। मध्य प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों में जल्द ही विधानसभा चुनाव हैं, इसलिए इन दोनों मुद्दों को उठाने का मतलब समझा जा सकता है।

आरजेडी प्रवक्ता और सांसद मनोज झा ने कहा-प्रधानमंत्री को सुनकर ऐसा लगता है कि वो हर वक्त मौके की तलाश में हैं। बोलने से पहले, प्रधान मंत्री को 21वें कानून आयोग ने जो कहा था, उसकी जांच करनी चाहिए थी, बिना मदद लिए संविधान सभा की बहस का गहराई से विश्लेषण करना चाहिए क्योंकि जो लोग आपकी मदद करने के लिए निकलते हैं, वे आपके माध्यम से नुकसान पहुंचाते हैं।

झा ने कहा कि हर मामले में हिन्दू-मुसलमान करना ठीक नहीं है। आदिवासियों की भी अपनी प्रथाएं हैं, आप यूसीसी लाएंगे तो उन प्रथाओं का क्या होगा। इसी तरह तमाम धर्मों में विवाह की अलग-अलग प्रथाएं और नियम हैं। यूसीसी उनमें कैसे लागू हो सकता है।

Exit mobile version