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एयर इंडिया का हिंदुओं और सिखों को फ्लाइट में ‘हलाल’ खाना नहीं देने का निर्णय

एयर इंडिया का हिंदुओं और सिखों को फ्लाइट में ‘हलाल’ खाना नहीं देने का निर्णय

एयर इंडिया द्वारा फ्लाइट्स में ‘हलाल’ और ‘झटका’ भोजन पर किए गए नए फैसले ने भारतीय एविएशन सेक्टर में एक बड़ी बहस को जन्म दिया है। टाटा समूह के स्वामित्व में आने के बाद कंपनी ने हाल ही में घोषणा की है कि अब एयर इंडिया की घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों में हिंदू और सिख यात्रियों को ‘हलाल’ प्रमाणित खाना नहीं दिया जाएगा। यह कदम उन लोगों के लिए एक स्वागत योग्य पहल माना जा रहा है, जो धार्मिक आस्था के अनुसार केवल ‘झटका’ या गैर-हलाल खाना खाना पसंद करते हैं।

इस फैसले के अनुसार, अब फ्लाइट के भोजन विकल्पों में बदलाव किया गया है। मुस्लिम यात्रियों के लिए ‘मुस्लिम मील’ का नाम अब ‘स्पेशल मील’ रखा गया है, जो हलाल प्रमाणित होगा। ‘स्पेशल मील’ के इस नए लेबल के तहत, विशेषकर मुस्लिम यात्रियों के लिए बुक किए गए भोजन को ही हलाल सर्टिफिकेट दिया जाएगा। एयर इंडिया ने स्पष्ट किया है कि सऊदी अरब जैसे देशों की उड़ानों में, जैसे कि जेद्दा, मदीना, रियाद, और दमाम, परोसे जाने वाले सभी भोजन हलाल प्रमाणित होंगे, खासतौर पर हज यात्राओं के दौरान।

एयर इंडिया का यह फैसला उस विवाद के बीच में आया है, जिसमें फ्लाइट में ‘मुस्लिम मील’ लेबल के नाम पर कुछ धार्मिक संगठनों और राजनेताओं ने सवाल उठाए थे। इस साल जून में, कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने लोकसभा में इस पर चिंता जताई थी और पूछा था कि एयर इंडिया जैसी सरकारी कंपनी क्यों भोजन में धार्मिक पहचान को चिह्नित कर रही है। टैगोर ने कहा था कि “क्या एयर इंडिया की फ्लाइट में हिंदू और मुस्लिम भोजन जैसे वर्गीकरण की जरूरत है?” उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) का इस प्रकार का विभाजनकारी दृष्टिकोण एयर इंडिया में भी लागू किया जा रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई थी कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय इस मुद्दे पर कार्रवाई करेगा।

कुछ धार्मिक संगठनों ने एयर इंडिया के इस फैसले की सराहना की है। उनका मानना है कि धार्मिक आस्था के अनुसार भोजन का चयन यात्रियों का अधिकार है और यह उनकी स्वतंत्रता का सम्मान करता है। वहीं, कुछ संगठनों का कहना है कि धर्म के आधार पर भोजन के विकल्प को सीमित करना एक विभाजनकारी कदम है, और यह सामाजिक समरसता के लिए उपयुक्त नहीं है।

एयर इंडिया के फैसले के बाद सोशल मीडिया पर भी अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं। कई लोगों का मानना है कि इस प्रकार के वर्गीकरण से यात्रियों की सुविधा बढ़ेगी और एयरलाइन अपने सभी यात्रियों की आवश्यकताओं का ध्यान रख पाएगी। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि फ्लाइट्स में भोजन का धार्मिक आधार पर विभाजन करना एक अनावश्यक कदम है और यह धार्मिक मतभेदों को बढ़ावा दे सकता है।

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