अफजाल अंसारी को निचली अदालत से मिली सजा, इलाहाबाद हाईकोर्ट से रद्द
लखनऊ: गैंगेस्टर के एक मामले में सपा सांसद अफजाल अंसारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट के फसले को रद्द कर दिया है। गाजीपुर की अदालत ने अफजाल को चार साल की सजा सुनाई थी। जिसे उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।अफजाल अंसारी ने गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट से मिली सजा के ख़िलाफ अपील की थी। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अफजाल अंसारी की सांसदी पर मंडरा रहा ख़तरा अब टल चुका है।
राज्य सरकार और कृष्णानंद राय के बेटे पीयूष राय की अपीलें खारिज
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और दिवंगत विधायक कृष्णानंद राय के बेटे पीयूष राय की तरफ से दायर सजा बढ़ाने की अपीलें खारिज कर दी हैं। यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने सोमवार को दिया। कोर्ट ने चार जुलाई को फैसला सुरक्षित कर लिया था। अफजाल अंसारी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल चतुर्वेदी एवं डीएस मिश्र व एडवोकेट उपेंद्र उपाध्याय ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने जो गैंग चार्ट बनाया है, उसमें कई सदस्य बनाए गए लेकिन गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई केवल तीन लोगों पर की गई।
पिछले साल 29 अप्रैल को गैंगस्टर मामले में चार साल की सजा सुनाई गई थी
इस मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने 4 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। गैंगस्टर मामले में अफजाल अंसारी को पिछले साल 29 अप्रैल को चार साल की सजा सुनाई गई थी। चार साल की सजा होने की वजह से अफजाल अंसारी को जेल जाना पड़ा था और उनकी संसद की सदस्यता निरस्त हो गई थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगा दी थी और अफजाल की सदस्यता बहाल कर दी थी।
ट्रायल कोर्ट में विवेचकों के बयान
ट्रायल कोर्ट में विवेचक के बयान से स्पष्ट भी है कि ऐसा राजनीतिक द्वेषवश किया गया। इसके अलावा जिस मूल मुकदमे के आधार पर अफजाल अंसारी को गैंगस्टर एक्ट में सजा सुनाई गई, उसमें उन्हें बरी किया जा चुका है । गैंगस्टर एक्ट के इस मुकदमे के बाद उनके खिलाफ दो ही मामले दर्ज हुए और वे भी 2009 एवं 2014 के चुनाव को लेकर जन प्रतिनिधित्व अधिनियम से जुड़े हैं।
विवेचक ने ट्रायल कोर्ट में अपने बयान में कहा है कि चार साल तक वह मोहम्मदाबाद थाने के इंचार्ज रहे, अफजाल अंसारी के खिलाफ मुकदमा तो क्या किसी ने छोटी मोटी शिकायत भी नहीं की। ऐसे में अफजाल अंसारी की सजा बढ़ाने का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता।