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अफजाल अंसारी और उनकी पुत्री, दोनों ने गाजीपुर से दाखिल किया नामांकन

अफजाल अंसारी और उनकी पुत्री, दोनों ने गाजीपुर से दाखिल किया नामांकन

गाजीपुर: सपा प्रत्याशी अफजाल अंसारी ने आज नामांकन पत्र दाखिल किया है। इस दौरान अफजाल अंसारी की बेटी नुसरत अंसारी ने भी सपा प्रत्याशी के रुप मे नामांकन पत्र दाखिल किया है। अफजाल अंसारी की बेटी नुसरत अंसारी दो नामांकन पत्र दाखिल किये हैं। नुसरत अंसारी ने सपा के वैकल्पिक प्रत्याशी के रुप मे नामांकन पत्र दाखिल किया। साथ ही नुसरत अंसारी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रुप मे भी नामांकन पत्र जमा किया।

अफजाल के मामले में आने वाले फैसले के चलते उम्मीदवारी की अनिश्चितता को लेकर उनकी बेटी ने भी इस सीट से नामांकन किया है। माना जा रहा है कि गाजीपुर लोकसभा सीट पर इस बार रोचक चुनाव होगा। एक जून को होने वाले मतदान के लिए नामांकन की प्रक्रिया जारी है।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि पिता और पुत्री दोनों ने नामांकन दाखिल कर दिए हैं। इन दोनों में से एक ही पार्टी का उम्‍मीदवार होगा। अगर पिता का नामांकन हो जाता है तो वे ही चुनाव लड़ेंगे। लेकिन किसी कारण से पिता का नामांकन खारिज होता है तो फिर बेटी नुसरत ही चुनाव लड़ेगी। नुसरत बीते कुछ महीनों से इलाके में सक्रिय भ्रमण कर रही हैं और वे लोगों से मतदान की अपील कर रही हैं।

प्रस्तावकों के साथ अफजाल अंसारी की बेटी नुसरत अंसारी पहले नामांकन करने पहुंचीं। इसके कुछ देर बाद अफजाल अंसारी अपने प्रस्तावकों के साथ नामांकन करने पहुंचे। अफजाल के मामले में आने वाले फैसले के चलते उम्मीदवारी की अनिश्चितता को लेकर उनकी बेटी ने भी इस सीट से नामांकन किया है। एक जून को होने वाले मतदान के लिए नामांकन की प्रक्रिया जारी है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट में बहस के दौरान अधिवक्ता जीएस चतुर्वेदी, दयाशंकर मिश्र ने पक्ष रखा। अधिवक्ताओं ने कहा कि अफजाल अंसारी को राजनीतिक रंजिश में फंसाया गया है। उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है। घटना के कई साल बाद गैंगस्टर का मुकदमा दर्ज किया गया था। दर्ज मुकदमा फर्जी है। अफजाल अंसारी पांच बार विधायक और दो बार सांसद चुने गए हैं। बिना भेदभाव के लोगों की मदद करते हैं, इसलिए अपने क्षेत्र में लोकप्रिय हैं।

न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह की कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने सुनवाई को आगे बढ़ाते हुए अगली तारीख 20 मई कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने अफजाल अंसारी की सजा स्थगित करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट को उनकी अपील पर 30 जून 2024 तक निर्णय लेने का निर्देश दिया था।‌ हाई कोर्ट ने इससे पहले जमानत तो दे दी थी, लेकिन, सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

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