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मतदाता सूची में नाम शामिल होने के बाद उन पर लगातार नजर रखना जरूरी है, नामों का पंजीकरण सुनिश्चित करने के लिए टीमें और हेल्पलाइन हैं: रिजवान अरशद

मतदाता सूची में नाम शामिल होने के बाद उन पर लगातार नजर रखना जरूरी है, नामों का पंजीकरण सुनिश्चित करने के लिए टीमें और हेल्पलाइन हैं: रिजवान अरशद

बेंगलुरु, (एसओ न्यूज): बेंगलुरु शहर के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में वोटर लिस्ट से एक खास वर्ग के नाम को व्यवस्थित तरीके से हटाने की साजिश को आने वाले दिनों में नाकाम कर दिया गया। इस तरह की किसी भी साजिश को रोकने के लिए हमें इस पर नजर रखने की जरूरत है।

शिवाजीनगर विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूचियों की निगरानी के लिए स्वयंसेवकों की एक टीम बनाई गई है और मतदाता सूची से संबंधित किसी भी शिकायत के लिए व्हाट्सएप के माध्यम से मतदाताओं का मार्गदर्शन करने के लिए एक स्थायी हेल्पलाइन स्थापित की गई है, यदि ऐसा है, तो इसका निवारण किया जा सकता है। यह बात शिवाजी नगर विधायक रिजवान अरशद ने गुरुवार की शाम शहर में मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण के अभियान को लेकर विद्वानों और मस्जिद के पदाधिकारियों के बीच हुई विचार गोष्ठी के बाद कही।

मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि चेलोम नामक संस्था के कार्यकर्ताओं ने जिस संगठित तरीके से एक खास वर्ग का नाम निकालने का काम किया, उसका पता चलते ही उन्हें कानून की मदद से नाकाम कर दिया गय। इस वोटर लिस्ट घोटाले के खुलासे के बाद शिवाजी नगर सहित तीन विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता सूची में हेरफेर की गहन जांच हुई है।

आगामी दो सप्ताह के दौरान शिवाजी नगर विधानसभा क्षेत्रों में कार्यकर्ता घर-घर जाकर मतदाताओं के नाम की जांच करेंगे और नाम शामिल नहीं होने पर मतदाता संबंधित बूथ स्तर के अधिकारी के माध्यम से नाम दर्ज कराने के साथ-साथ ऑनलाइन पंजीकरण में भाग लेंगे। उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां बीजेपी ने वोटर लिस्ट से नाम हटाकर अल्पसंख्यक समुदाय खासकर मुस्लिमों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया से बाहर करने की कोशिश की, वहीं देश में उनकी नागरिकता को खतरे में डालने की भी कोशिश की।

उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में जब एनआरसी, सीएए और एनपीआर लागू होगा तो सरकार की मंशा उन मुसलमानों को परेशान करने की है जो वोटर लिस्ट से गायब हो गए हैं और उनकी नागरिकता छीनने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि शिवाजी नगर विधानसभा क्षेत्र में नामों का पंजीकरण 24 दिसंबर तक चलेगा। इन पंद्रह दिनों में हटाए गए सभी नामों को मतदाता सूचियों में बहाल कर नए नाम दर्ज किए जाएंगे।

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