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चीन के बाद भारत बना रूस से तेल आयात करने वाला सबसे बड़ा देश

चीन के बाद भारत बना रूस से तेल आयात करने वाला सबसे बड़ा देश

नई दिल्ली: भारत, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता और आयातक है, जुलाई में रूस से लगभग 2.8 अरब डॉलर मूल्य का कच्चा तेल खरीदकर वैश्विक बाजार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस प्रकार, भारत रूस से तेल आयात करने वाले देशों की सूची में चीन के बाद दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। रूस अब भारत का सबसे बड़ा कच्चे तेल का आपूर्तिकर्ता बनकर उभरा है, जो भारत की रिफाइनरियों में पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधनों में परिवर्तित किया जाता है।

रिपोर्टों के अनुसार, यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद, कुछ यूरोपीय देशों ने रूस से तेल की खरीद में कमी की, जिससे रूस ने अपने तेल की बिक्री को नई दिशाओं में मोड़ दिया। इस स्थिति का फायदा उठाते हुए भारत ने रियायती दरों पर रूसी तेल की खरीद शुरू की। यूक्रेन युद्ध से पहले, रूस से भारत का तेल आयात कुल आयात का एक प्रतिशत से भी कम था, लेकिन वर्तमान में यह हिस्सा बढ़कर 40 प्रतिशत हो गया है।

सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन रूस के कुल कच्चे तेल के निर्यात का 47 प्रतिशत हिस्सा खरीदता है, जबकि भारत 37 प्रतिशत तेल आयात करता है। इसके बाद यूरोपीय संघ (सात प्रतिशत) और तुर्किये (छह प्रतिशत) का स्थान आता है। तेल के अलावा, चीन और भारत ने रूस से कोयला भी खरीदा है। दिसंबर 2022 से जुलाई 2024 के अंत तक चीन ने रूस से कुल कोयला निर्यात का 45 प्रतिशत खरीदा, जबकि भारत ने 18 प्रतिशत कोयला आयात किया। इसके बाद तुर्किये (10 प्रतिशत), दक्षिण कोरिया (10 प्रतिशत), और ताइवान (पांच प्रतिशत) रहे।

रूस से तेल आयात भारत के लिए आर्थिक रूप से भी फायदेमंद साबित हुआ है। आईसीआरए की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 और 2024 के 11 महीनों के दौरान, रूस से तेल आयात की लागत खाड़ी देशों से इसी अवधि में आयातित तेल की तुलना में क्रमशः 16.4 प्रतिशत और 15.6 प्रतिशत कम रही। इस रणनीति के कारण भारत ने वित्त वर्ष 2022-23 के पहले 11 महीनों के दौरान अपने तेल आयात बिल में लगभग 7.9 बिलियन डॉलर की बचत की है। इससे देश के चालू खाता घाटे को कम करने में भी मदद मिली है।

भारत की इस रणनीति ने वैश्विक तेल बाजार पर भी सकारात्मक प्रभाव डाला है। कच्चे तेल की इन बड़ी खरीदों के कारण विश्व बाजार में तेल की कीमतें अधिक उचित स्तर पर बनी रहीं, जिससे अन्य देशों को भी लाभ हुआ है। रूस से सस्ता तेल खरीदना भारत के लिए न केवल आर्थिक रूप से लाभकारी है, बल्कि यह वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

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