इज़रायली सेना में इस्तीफ़ों की लहर
हिब्रू मीडिया के अनुसार, इज़रायल की सेना में अभूतपूर्व स्तर पर अधिकारियों के इस्तीफ़े देखे जा रहे हैं। छह सौ से अधिक वरिष्ठ अधिकारियों ने अपनी आधिकारिक सेवानिवृत्ति तिथि से पहले ही सेवा समाप्त करने का अनुरोध जमा कर दिया है। फ़ार्स न्यूज़ की अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के मुताबिक, इज़रायल की संसद (नेसेट) की विदेश और सुरक्षा उप-समिति को भेजी गई एक सैन्य रिपोर्ट में बताया गया कि, इन अधिकारियों में से कुछ लोग इस्तीफ़ा देना चाहते थे, लेकिन उन्हें मजबूरन सेवा जारी रखनी पड़ी, क्योंकि युद्ध के दौरान वे महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारियों पर थे और उनकी जगह लेने वाला कोई उपयुक्त विकल्प मौजूद नहीं था।
क़ब्ज़ाधारी शासन के चैनल 12 ने अमीर फ़दमोनी (इज़रायली सेना के मानव संसाधन प्रमुख) के हवाले से बताया कि सेना को कई महत्वपूर्ण पदों पर कम उम्र और कम अनुभव वाले अधिकारियों को नियुक्त करना पड़ा है। उनके अनुसार, यह कदम “सेना की कमान क्षमता के लिए गंभीर जोखिम पैदा करता है।”
यह स्थिति उस समय सामने आई है जब ग़ाज़ा युद्ध समाप्त होने के बाद हज़ारों सैनिकों ने भी अपनी रिहाई की प्रक्रिया को तेज़ करने के लिए आवेदन दिया है, जिससे सेना की कमान संरचना और उसकी ऑपरेशनल तैयारियों पर भारी दबाव पड़ा है। इज़रायली मीडिया लिखता है कि स्थायी सेना, इज़रायली सैन्य ढांचे की रीढ़ मानी जाती है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसकी संख्या 45,000 से घटकर लगभग 40,000 रह गई है। यह कमी मौजूदा संकट को और गंभीर बना देती है।
सैन्य सूत्रों का कहना है कि उत्तर और दक्षिण दोनों मोर्चों पर लगातार युद्धों का मानसिक और शारीरिक असर सिर्फ़ सक्रिय सैनिकों पर नहीं, बल्कि रिज़र्व बल पर भी पड़ा है। इससे मनोबल में गिरावट और कमान में असंगठित स्थितियाँ पैदा हुई हैं।
क़ब्ज़े वाले क्षेत्रों के सैन्य विश्लेषक चेतावनी देते हैं कि यदि यह रुझान जारी रहा तो कमान संरचना में अव्यवस्था, महत्वपूर्ण सैन्य अनुभव का नुकसान, और भविष्य के खतरों से निपटने की सेना की क्षमता में गंभीर गिरावट देखी जा सकती है। नज़र रखने वाले विशेषज्ञ इसे इज़रायली सेना के हालिया इतिहास के सबसे गहरे संकटों में से एक बता रहे हैं।

