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सेंगोल की जगह पर संविधान की प्रति रखी जाए: सपा सांसद

सेंगोल की जगह पर संविधान की प्रति रखी जाए: सपा सांसद

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के लखनऊ की मोहनलालगंज लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी सांसद आरके चौधरी ने संसद में सेंगोल का मुद्दा छेड़ दिया है। उन्होंने संसद में सेंगोल की जगह संविधान रखे जाने की मांग कर दी है। इस पर राजनीतिक माहौल गरमा गया है। दरअसल, नई लोकसभा गठन के बाद गुरुवार को राष्ट्रपति का अभिभाषण चल रहा है। इससे पहले ही सपा सांसद ने सेंगोल को राजा-महाराजाओं का प्रतीक बताकर उसे संसद से हटाने की मांग कर दी।

उन्होंने प्रोटेम स्पीकर को लिखी गई चिट्‌ठी में कहा था कि सेंगोल राजा-महाराजाओं का प्रतीक है। इसलिए, इसे संसद हटाया जाना चाहिए। सेंगोल की जगह संसद में संविधान की एक विशाल प्रति लगाई जानी चाहिए। सांसद के रूप में शपथ लेने के बाद विरोध दर्ज कराते हुए आरके चौधरी ने प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब को चिट्ठी लिखी थी।

नए संसद भवन में सेंगोल को पिछले साल लोकसभा में स्पीकर की कुर्सी के बगल में स्थापित किया गया था। तब भी इसपर काफी विवाद हुआ था। बीजेपी ने दावा किया था कि यह ब्रिटिश और भारत के बीच सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में इसे सौंपा गया था। लेकिन कांग्रेस ने इन दावों को खारिज कर दिया था और कहा था यह साबित करने के लिए कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है।

तब पिछले साल मई में गृहमंत्री अमित शाह ने सेंगोल के संसद में स्थापित किए जाने की घोषणा करते हुए कहा था यह राजदंड अंग्रेजों से भारतीयों को सत्ता के हस्तांतरण को चिह्नित करने के लिए 14 अगस्त, 1947 को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सौंपा गया था। गृहमंत्री ने कहा था कि इस राजदंड को ‘सेंगोल’ कहा जाता है जो तमिल शब्द ‘सेम्माई’ से आया है और जिसका अर्थ है ‘नीति परायणता’। उन्होंने कहा कि यह सेंगोल पौराणिक चोल राजवंश से संबंधित है। शाह ने कहा था कि सेंगोल स्वतंत्रता और निष्पक्ष शासन की भावना का प्रतीक है।

अमित शाह के इस दावे के बाद कांग्रेस ने कहा था कि लॉर्ड माउंटबेटन, सी राजगोपालचारी और जवाहरलाल नेहरू के बीच ‘सेंगोल’ के बारे में ऐसा कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है।

प्रोटेम स्पीकर को लिखे अपने पत्र में सपा सांसद ने कहा था कि आज मैंने इस सम्माननीय सदन में शपथ ली। मैंने कानून की ओर से स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा की शपथ ली, लेकिन मैं सदन की कुर्सी के दाईं ओर सेंगोल को देखकर हैरान रह गया। महोदय, हमारा संविधान भारत के लोकतंत्र का एक पवित्र दस्तावेज है। वहीं, सेंगोल राजतंत्र का प्रतीक है। सांसद ने कहा कि अपने पिछले कार्यकाल में पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार ने संसद में सेंगोल स्थापित किया। सेंगोल का अर्थ राजदंड होता है। इसका मतलब राजा का डंडा भी होता है। रियायती व्यवस्था को समाप्त कर देश आजाद हुआ है। उन्होंने सवाल किया कि देश राजा के डंडे से चलेगा या संविधान से?

अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया
इस पूरे मामले पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रतिक्रिया दी। उनसे जब सपा सांसद आरके चौधरी के बयान पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि, ‘हमारे सांसद इसलिए कह रहे होंगे जब पहली बार लगा था तब प्रधानमंत्री ने बाक़ायदा उसे प्रणाम किया था। इस बार वो भूल गए, इसलिए शायद मेरी पार्टी के सांसद ने इस तरह का पत्र लिखा है। जो राय उस समय थी मैंने ट्वीट किया था, आप मेरी राय निकालकर चलाइए। जब पीएम मोदी ही प्रणाम करना भूल गए तो उनकी इच्छा कुछ और होगी।

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