2000 की नोटबंदी काला धन जमा करने वालों की मदद है: चिदंबरम
नई दिल्ली: आरबीआई द्वारा 2000 के नोट बंद करने की घोषणा के बाद सभी विपक्षी दलों को सरकार की आलोचना करने का सुनहरा मौक़ा मिल गया है। सभी विपक्षी पार्टियों ने केंद्र सरकार की नीतियों पर जमकर हमला करते हुए इसे 2016 में हुई नोटबंदी को केंद्र सरकार की भ्रष्टाचार और आतंकवाद के विरुद्ध असफलता क़रार दिया है। और अब इसमें नया नाम पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम का भी जुड़ गया है।
2,000 रुपये के नोटों को चलन से वापस लेने के केंद्र के कदम की आलोचना करते हुए, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने सोमवार को कहा कि 2,000 रुपये के नोट से केवल काले धन के जमाखोरों को अपना धन जमा करने में मदद मिलेगी। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने ट्विटर पर कहा, “बैंकों ने स्पष्ट कर दिया है कि 2,000 रुपये के नोट बदलने के लिए किसी आईडी, फॉर्म और किसी प्रमाण की जरूरत नहीं होगी।
पी चिदंबरम ने कहा कि काले धन का पता लगाने के लिए 2000 रुपये के नोट वापस लेने का बीजेपी का कदम विफल हो गया है, क्योंकि आम लोगों के पास 2000 रुपए के नोट नहीं हैं। 2016 में पेश किए जाने के तुरंत बाद उन्होंने इसे छोड़ दिया। क्योंकि 2000 के नोट दैनिक खुदरा विनिमय के लिए बेकार थे। फिर 2000 रुपये के नोट किसने रखे ? और किसने उनका इस्तेमाल किया? आप जवाब जानते हैं, 2000 रुपये के नोटों ने जमाखोरों को आसानी से अपना पैसा इकट्ठा करने में मदद की। अब 2000 रुपये के नोट धारकों का नोट बदलने के लिए रेड कार्पेट पर स्वागत किया जा रहा है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि 2,000 रुपये का नोट सरकार के काले धन को जड़ से खत्म करने के घोषित लक्ष्य की दिशा में एक मूर्खतापूर्ण कदम है। मुझे खुशी है कि 7 साल बाद मूर्खतापूर्ण कदम वापस लिया जा रहा है। भारतीय स्टेट बैंक द्वारा 20 मई को 2,000 रुपये के नोटों के आदान-प्रदान के संबंध में स्पष्टीकरण जारी करने के बाद उनकी यह टिप्पणी आई है।
एसबीआई ने एक सर्कुलर में कहा है कि अगर कोई व्यक्ति अपने 2,000 रुपये के नोट को एक बार में 20,000 रुपये तक बदलना चाहता है, तो लोगों को आवेदन फॉर्म भरने की जरूरत नहीं होगी। 19 मई को, भारतीय रिजर्व बैंक ने 2,000 रुपये के नोटों को चलन से वापस लेने की घोषणा की और यह भी कहा कि यह 30 सितंबर तक वैध रहेगा।